Monday, 31 December 2018

ऐ रब

ऐ रब
मेरे हिस्से की तमाम खुशियां
मेरे उस मुरीद के नाम कर,
जो याद करता हैं मुझे,..
अपनी हर मुसीबत मे ही सही,...
ऐ रब
तमाम ग़म,परेशानियां...
उसकी हमको दे..
जो था भूल गया अपनी
मस्त रवानी मे,...
ऐ रब
रहमत कर उसकी
हर सच्ची झूठी कहानी पे,
जो बया करती आंखे...
आंसुओ से लदी हुई
ऐ रब
क्या फर्क है फ़क़ीर और
फ़रिश्ते मे,..
तेरी आस मेरी सांस है
जो हैं औरो के लिये,..
ऐ रब
फ़टी रहने दे
झोली फ़क़ीर की,..
ग़म निकल गये
खुशी बाँट दू बिखरे से पहले