Saturday, 8 February 2014

anhadyog-way of god


हार और जीत मनुष्य स्वंय पैदा करता है 
मन काबू में नही हो तो,हरिहर,हार ही हार है
और मन काबू में है तो जीत ही जीत है


राम और रावण मेरी नजर में दोनो ही महान है 
किंतु प्रतिष्ठा कर्म आधार पर निर्भर करतीहै


जो करते नहीं कद्र कतरे की वो कभी समंदर होते नहीं '

Friday, 7 February 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-4

                         गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-4

 


1. आत्मा एक सुंदर और अमर दीया है जो सदैव प्रकाशमान है
,हरिहर,जो कभी बुझता नही केवल(शरीर) चिराग बदलता है

2. दूसरों पर हिंसा करना पाप है अपराध है तो अपनें पर हिंसा करना 
त्याग ,योग ,साधना,कैसे हो सकता है

3. दुनिया के नक्शे हिन्दु अल्पसंख्यक है,
अब हिन्दुतान में भी हिन्दु अल्पसंख्यक है ..? 
अपने देश में ही गाय,गंगा,गायत्री की रक्षा नही कर पा रहा है

4. पानी की बुंद सागर मिलकर ही पूर्ण:होती है ,हरिहर, आत्मा परमात्मा में

5. छोटे चिराग के सामने बड़ा चिराग रोशन करने से छोटे चिराग का अस्तित्व नही मिटता, अपितु दोनो का प्रकाश एक दूसरे में विलय हो जाता है और जग रोशन करते है हरिहर ऐसे ही बड़ा संत वही होता है जो अज्ञानी को भी अपने मे विलय़ कर अपने सा प्रकाशमान कर देता है,,,,

6. कोई किसी को सत्य नही समझा और दिखा सकता !हरिहर सत्य अपने आप प्रकट होकर अपना प्रभाव दिखा देता है

7. अगर भ्रम भी हो जाए कि भोजन में विष है तो हम उसे दूर कर देते है, किंतु सत्य जानते हुए भी मिथया वचन,पाप कर्म मिथया वचन,पाप कर्म क्या है हम उसे ग्रहण कर लेते है,तो हमारा ,हरिहर,,पतन होता है फिर बूरा क्यो लगता है.... ? यह ही प्राकृतिक है जो बोना है वही तो कटना है अब सोचो क्या बोना

8. सच पेड़ पौधे कम हो रहे है। पर जंगल नही पशु कम हो रहे है पर जानवर नही
शहरो नें जगलों का नाम ले लिया और हम ने,हरिहर, पशु का काम ले लिया

9. ईश्वर को हराना बहुत ही असान है!
बस हरिहर हम जीत की कामना छोड़ दे॥
वे खुद ही हार जाएगे...............

10. हीरा भले ही किचड़ में गिर जाए ,हरिहर, अपनी चमक नही खोता ।
इसी प्रकार संत ,ज्ञानी विपदा में फँसकर अपना सत्य का मार्ग (परमधर्म) नही छोड़ता॥

11.देह में प्राण है।तो ,हरिहर, हम प्राणी है। अन्यथा मिट्टी
मन में मानवता है। तो मानव नही तो पशु


Friday, 31 January 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-2

                              गीता सार     

                  सरल जीव उपयोगी उपदेश:-2





1.आनंद सरल जीवन जीने में है।
हरिहर अधिक जीवन जीने में नही।।
2.लकडी़ धू-धू कर जलै,लेकर देह हमारी रे।
हरिहर गैर मरै की खुशी न करियौ।।
देर भले... अपनो की भी है, तैयारी रे।
3.प्रेम तपस्या है। किंतु मोह से मुक्त हो................
4.शरीर के सफर का आखरी सफर हो सकता है कितुं तुम्हारा (आत्मा) नही........
5.काम,काम में है बाधा, काम से काम का नाश,काम करता रह
बन्दे हैं प्रभु है, तेरे पास...............
6.पवित्र शब्द पवित्र देह से ही प्रकट होते है
जो ईशवर की ही देन है वही वेद,गीता, कुरान ,
पुराण, देह में उतारता है...









Thursday, 30 January 2014

Peace mind..........anhadyog



anhadyogi


गीता सार सरल जीव उपयोगी उपदेश

गीता सार 
सरल जीव उपयोगी उपदेश

1. पाप और पारा किसी से पच.सकता

2. संत वह..जो साकार-निराकार के मत-भेद में नही पड़ते..
.केवल कर्म करते है फल की कामना नही करते..
ईश्वर भजन में मगन रहते है चाहे..
वे फिर साकार हो या निराकार..
संत को तो बस मगन रहना है ...........


3.प्रेम आत्मा का भोजन है, प्रेम परमात्मा की ऊर्जा है जिससे प्रकृति का सारा सृजन होता है। आध्यात्म जगत में प्रेम से ज्यादा महत्त्वपूर्ण कोई शब्द नहीं है। यही वह रसायन है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ देता है।

4.मैं से मुक्ति ......ही परमात्मा में विलय है

5.सब कुछ हरि का, मै हरि का....
.तुम हरि के,हरि तुम्हारा...
फिर कैसा झगडा.
आओ गले मिल जाओ..........
...स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस.


6.काम..... ही केवल वासना नही है....
.अपितु जो वस्तु अपनी नही है उसकी कामना करना भी वासना है.....
स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस.


7.माया का है खेल निराला तरह तरह के रंग...............
कुता,बिल्ली गधा, घोडा सभी जीव के संग..........
..स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस


8.याद रखें बेफिकर के पीछे फिकर है...............
.स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस.

9.तन का मैल,उबटन से दूर होगा और मन का मैल हरि नाम से....
..स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस

10.मुझे वही समय बुरा लगता है जो हरि नाम के बिना बीत गया
..................................................स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस
11.तू मुझमे,मै तुझमें,.........
फिर बाहर किसे खोजना

12.शरीर एक बार मरता है, और मन बार बार..
स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस

13.कौन मरा है,कौन मरेगा,जीवन एक चक्र है,
जीवन यु हि चलता रहेगा