Saturday, 27 September 2014

- सरल जीव उपयोगी उपदेश:-34


1. उपवास का महत्व तभी है जब उपहास न हो,..

2. आत्मविश्वास होना उतम है किंतु अहँकार युक्त न हो

3.प्रेम का अर्थ समर्पण है,..किंतु कायरता बिलकुल नही

4. सत्य का मतलब,..कटू अलोचना नही है

5. बार बार लगाकर तस्वीर को अपनी,...
जतला रहा हू मै,यारो हम भी ज़िन्दा है

6. अनुभव है ज्ञान मेरा पर सच,..
थोपना सब पर मेरा लक्षय नही,.

7. हरिहर, मरने से कोंन डरता हैं य़ारों
दर्द तों सच लम्बी ज़िन्दगी हैं यारों
किसी की भी कटती नही आराम से,.
कोई परेशा़ है अपना से, कोई माल हराम से

8. दुनिया का सबसे भारी बोझ क्या है
इंसान का प्रसिद ह़ोना
आज़ादी खत्म. ध्यान खत्म,
सच मानों तो सच्चा समान खत्म
प्रपंच,पाखण्ड, शुरू

9. घट मे घटना घट रही
ज़ू पल पल घटे शरीर
पर घट मे कुछ नहीं घट रहा
हरीहर व्यर्थ घटा शरीर

10. चिडिया जितना पेट तेरा,..
और ऊँट जैसी भूख,..
दूजे का भी हक मार गया
कैसी गंदी इंसान की हूक


Tuesday, 23 September 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-33


1.माया का एक रूप अजगर जैसा
हरिहर न ज़िसको कोई भय
निग़ल गया कितने महा रथी ,
सिद्ध जों करते रहते मै मै


2. गए थे जो मेंऱा घर छोड़ कर
हरिहर पाने रब का रास्ता 
कुछ क़ो मोह पद का खा गया
कुछ कों चान्दी की कुर्सी खा गई


3. क़िस्मत का लिखा बदल सकता ग़र इन्सान
हरिहर तो रब को क़ुयु कर पूजता इन्सान

4. वो दुनियाँ को जीतने वाला,...
मन को जीतना ना पाया,.
.कहै हरिहर फिर.. कया
कुछ नही जीत पाया...


5. हरिहर एकड,भीगो में जमी़ बढाते है लोग...
फिर वही दो गज़ में दफ़न हो जाते है लोग...
दिन रात एक-एक कर पैसा कमाते लोग,..
तुम बिस्तर,पैसा का मजा़ दूसरे उडाते है लोग...
किसी ने भी बनवाया हो ताजमहल,..
कहाँ उसमे रह पाये है वो लोग...


6.बनना है तो लम्बी रेस का घोडा बन,..
हरिहर टटूओ पर सफऱ करता कौन,..
उतरना है तो गहरे समुंद्र में उतर ...
तलैया में उतरता कौन,..


7. हा कोंन रब क़ो प़ायेगा
जो अन्हद में आयेग़ा
क्या है अन्हद'
आ तो.....भीतर 
खुद जान जायेगा


8.मुझे लगा वक्त गुजरता है ।
पर वक्त तो वहीं है यारों 
गुजर तो आदमी जाता है यारों


9.हवाओं के रुख से न घबरा, 
बस अपनी जड़े गहरी बड़ा

10.औकात में रह हरिहर कुयू कर कद बडता है
कौन मुर्दा दो गज कफ़न से बाहर जाता है

Sunday, 21 September 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-32


1.हरिहर राम राग, सीता है संगीत,..
अंजनीपुत्र अनुभव है इनसे कुछ सीख

2.हरिहर मजा़ आ रहा है जिंदगी जीने का..
जब से लगाया है अ़तर तेरी चाहत का...

3. कौन कहता है प्रभु खोज़ने से मिलते है,...
हरिहर कूद अंहद के दरीया में मुसाफिर ,..
मिटा दे जो अपनी हस्ती अकस़ में,..
वो पागल नजारा रब का देखते है...

4.बंजर भूमि का दर्द तूम कया जानो,...
ये तो कोई रोती माँ ही बता सकती है,...

5.बिठा कर आसमा़ पर,..
प्रभु को,..
बैठ गया मिट्टी पर,..
कयूकि पता हम को,..
तेरी इक झलक को पाने तरीका,..

6.अंदर उतरो मित्रो अंदर आंनद ही आंनद है,..
बाहर दिखावा ही दिखावा, घमड ही घमड है

Saturday, 20 September 2014

न रब कोई भेद बनाता,..

न दाम बडा न नाम बडा...
सबसे बडा है तेरा काम..
सब कर्मो का लेखा जोखा...
बाकि सब है ...
तेरी आँखो का घोखा..
कर्म गति सबकर दिखावे
सुख-दुःख का चक्र चलावे...
जो तेरा सुख वो किसी का दुःख..
जो तेरा दुःख वो किसी का सुख..
पर भेद समझ न पाये...
तू फल खाये..
फल तूझको खाये...
हिरण खाये पाती,
हिरण को शेर खा गया..
खा गया शेर को घाती...
पर दुनियाँ यु ही चल जाती..
जीवन एक चक्र है मित्रों..
मिटते सब बारी बारी.....
भ्रम को ब्रहम खाता..
ब्रहम को भ्रम .खावें....
कोई छोटा कोई बडा...
सब कर्म गति का खेल,..
ईश्वर तेरे घट में वासे,..
बाहर फिर भी ढुढे हम,..
बस नज़र नज़र का भेद है..
न कोई माया कौ खेल,..
कोई छोटा कोई बडा,..
सब कर्म गति का मेल,..
माँ बनाती बेटा खाता,..
कुयू कर पेट माँ का भर जाता,.?
झाडी को कोई पुछे नाही,..
कुयू बडा पेड जलने के काम आता..
जो बडा वो पीडा भी बडी पाता,..
कौन गरीब किडनी बदलवाता,..
भाई सब तेरी नज़र का भेद है,..
न रब कोई भेद बनाता,..
अंहद में जाते नही,..
प्रभु पर कुयू कर ऊगली उठाता,..
वो रोग से पहले दवा बनाता,..
प्रश्न से पहले ऊतर लाता,..
पर हरिहर कुयू न तू भीतर आता..
हर प्रश्न को है ऊतर की आस,.
कैसे लेती देह मिटटी,..? सांस,...

Thursday, 11 September 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-31


1. आत्मा का समर्पण
गुरु का गुरुत्वाकर्षण,
परमात्मा का स्मरण,
अंहद का भ्रमण
तो आना जाना समाप्त

2. अधिक रोशनी देने वाले चिराग अकस्मात् बुझ जाते है
अधिक उपलब्धी से उतम उपलब्धी ही अच्छी है

3. जीवन का सबसे बडा अपराध किसी की आँख आँसू आपकी वजह से होना...
......मान लेना तू शैतान बने..
जीवन की सबसे बडी उपलब्धि किसी की आँख मे आँसू आपके लिये होना..
...........मान लेना तू इंसान बने..

4. जिंदगी में दो चीजें हमेशा टूटने के लिये होती है
॥ सांस,आस, ॥ 
सांस टूटने से तो इंसान एक बार मरता है
आस टूटने से बार बार मरता है

5. रहीम कबीरा रो पडे़ देख आज का हाल
बेटी कोख मरे,माँ बिकती बीच बजाऱ

6. मैं मरता तो अच्छा था, पर नही मैं मरा,
मैं मैं करता मै मरा.पर कुयू नही मैं मरा

7.भाई भी करता नही भाई पर विश्वास, 
बहन हो गई पराई, साली खासम खास

8.पहन मुखौटा घर्म का,करते दिन भर पाप,
भंडारे करते फिरे घर मे भुखे माँ बाप

9.
शस्त्र सेअपने समाज की रक्षा,,और शास्त्र से अपने धर्म की रक्षा करे
 

10.हम मरने के बाद स्वर्ग जाएँ यह महत्वपूर्ण नहीं,
पर मरने से पहले अपने आस पास स्वर्ग बना जाएँ यह महत्वपूर्ण है…!!!”

Friday, 25 July 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-30


1. तु निराकार है या साकार है,..
हरिहर ये लडाई है उनकी,...
मेरे लिये तो तू मददगार है


2. गम़ बता या गम़ छुपा,..
आ गम़ से दे गम़ मिटा,.
हरिहर .गम़ ये कया है श़ए..
जहाँ देखो गम़ का है अमबार लगा


3. इक पंछी जो नजऱ न आता है,...
पर घोसला बदला जाता है,...
जैसा घोसला वैसा नाम,,..
वो पंछी जग में पाता है,...
ज्ञानी कहता पंछी ये गजब.. 
दूर गगन का भेद बतलाता..
तेज बाहर नजर का उजयारा,..
देख नही कोई इस को पाये,..
पर बंद नजर से अंहद योगी,...
हरिहर सच रोज़ आंनद उठाये
ये पंछी बडा अलबेला,...
दुर गगन की सैर कराये,..
महाज्ञानी ये पंछी ....
रब का साकार कराये....


4. हँसते हो हम पर, हरिहर सच खुशी की बात है,..
बरसो हुए, आज भी हमारी यादे तुमहारे साथ है

5.मुझे दुश्मनों की जरूरत नही,..
मेरे नादाऩ मित्र ही काफी है,..मेरा सर झुकाने को

6. तेरा दुःख़ मेरा हो,..
मेरा सुख तेरा हो,.. 
ग़र ऐसी सोच तेरी हो,...
तो मान रोज नया सवेरा हो


7. गुरु मेरौ ज्ञान,गुरु मेरौ अभिमान,..
देह दिये गुरु मिले तो भी सस्ता जान.
हरिहर गुरु महिमा रब ही जाने, 
देह नही गुरु ज्ञान पहचाने..


8. जो तुमहारी मजबूरी है वही हमारी मजबूरी है
तुमहारी उनसे दूरी है हमारी तुमसे दूरी है

9. 

Monday, 14 July 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-28


1. तुझमे रब,शायद मुझमे रब, 
सब मेे हरि नुर समाया,.....
पर हरिहर जो उतरा अंहद,..
वही खोजी सुुरमा,खेल समझ पाया

2. हरि नाम अमृत,हरि नाम धी ,....
समय निकाल के सबके साथ पी,.

3.हरिहर चल नराज़ न हो ...
जाने दे ये दुनियाँ एेसी ही है,..
तेरे गम़ से कोई गम़ गाऱ न होगा
अकेले चल कोई तेरा यार न होगा

4.तेरे महलों की आबोहवा हम को रास आती नही,..
हम महा तयागी नही,हम फकीर ही हैै दूसरेेे किसम केे...
5. पर है तेरे पर पता नही हैै ..
पर तुुुझ को सजा नही,...
उड़ गगन में,....
धरा मे धरा , न धरा रह है,..
उड़ उच गगन मेें,...
हँस है तू नील गगन का,...
परम तत्व का परमँहस का,.
ध्यान धर्म,का ध्यान तू धर,..
जो करना है अंहद में कर,.....
उड़ गगन में, नील गगन में,

6. कया खोया है..जिसे ढुंढते हो...
हाँ ढुंढता हुँ मैं खुद में खुदा को...

7.बहुत कुछ तुमहारे आस पास घट रहा है..उसे खोज़ना है या कहो उस पर ध्यान लगाना है..वही बाहरी गुप्त ज्ञान है जैसे पक्षियो की आवाजे़,हवा का संगीत,धरती की खामोशी,और बहुत कुछ जो साकार अनुभव है जो तुमहे भीतर ले जा सकता हैः जहाँ कभी नही पहुचे जानो ईश्वर ने ही तुमहारा हाथ पकडा है यही अंहद के आंनद का प्रथम अनुभव है