गीता सार
सरल जीव उपयोगी उपदेश
1. पाप और पारा किसी से पच.सकता
2. संत वह..जो साकार-निराकार के मत-भेद में नही पड़ते..
.केवल कर्म करते है फल की कामना नही करते..
ईश्वर भजन में मगन रहते है चाहे..
वे फिर साकार हो या निराकार..
संत को तो बस मगन रहना है ...........
3.प्रेम आत्मा का भोजन है, प्रेम परमात्मा की ऊर्जा है जिससे प्रकृति का सारा सृजन होता है। आध्यात्म जगत में प्रेम से ज्यादा महत्त्वपूर्ण कोई शब्द नहीं है। यही वह रसायन है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ देता है।
4.मैं से मुक्ति ......ही परमात्मा में विलय है
5.सब कुछ हरि का, मै हरि का....
.तुम हरि के,हरि तुम्हारा...
फिर कैसा झगडा.
आओ गले मिल जाओ..........
...स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस.
6.काम..... ही केवल वासना नही है....
.अपितु जो वस्तु अपनी नही है उसकी कामना करना भी वासना है.....
स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस.
7.माया का है खेल निराला तरह तरह के रंग...............
कुता,बिल्ली गधा, घोडा सभी जीव के संग..........
..स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस
8.याद रखें बेफिकर के पीछे फिकर है...............
.स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस.
सरल जीव उपयोगी उपदेश
1. पाप और पारा किसी से पच.सकता
2. संत वह..जो साकार-निराकार के मत-भेद में नही पड़ते..
.केवल कर्म करते है फल की कामना नही करते..
ईश्वर भजन में मगन रहते है चाहे..
वे फिर साकार हो या निराकार..
संत को तो बस मगन रहना है ...........
3.प्रेम आत्मा का भोजन है, प्रेम परमात्मा की ऊर्जा है जिससे प्रकृति का सारा सृजन होता है। आध्यात्म जगत में प्रेम से ज्यादा महत्त्वपूर्ण कोई शब्द नहीं है। यही वह रसायन है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ देता है।
4.मैं से मुक्ति ......ही परमात्मा में विलय है
5.सब कुछ हरि का, मै हरि का....
.तुम हरि के,हरि तुम्हारा...
फिर कैसा झगडा.
आओ गले मिल जाओ..........
...स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस.
6.काम..... ही केवल वासना नही है....
.अपितु जो वस्तु अपनी नही है उसकी कामना करना भी वासना है.....
स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस.
7.माया का है खेल निराला तरह तरह के रंग...............
कुता,बिल्ली गधा, घोडा सभी जीव के संग..........
..स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस
8.याद रखें बेफिकर के पीछे फिकर है...............
.स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस.
9.तन का मैल,उबटन से दूर होगा और मन का मैल हरि नाम से....
..स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस
..स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस
10.मुझे वही समय बुरा लगता है जो हरि नाम के बिना बीत गया
.............................. ....................स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस
..............................
11.तू मुझमे,मै तुझमें,.........
फिर बाहर किसे खोजना
फिर बाहर किसे खोजना
12.शरीर एक बार मरता है, और मन बार बार..
स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस
स्वामी हरिहर चैतन्य परमहॅस
13.कौन मरा है,कौन मरेगा,जीवन एक चक्र है,
जीवन यु हि चलता रहेगा
जीवन यु हि चलता रहेगा
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