Friday, 31 January 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-2

                              गीता सार     

                  सरल जीव उपयोगी उपदेश:-2





1.आनंद सरल जीवन जीने में है।
हरिहर अधिक जीवन जीने में नही।।
2.लकडी़ धू-धू कर जलै,लेकर देह हमारी रे।
हरिहर गैर मरै की खुशी न करियौ।।
देर भले... अपनो की भी है, तैयारी रे।
3.प्रेम तपस्या है। किंतु मोह से मुक्त हो................
4.शरीर के सफर का आखरी सफर हो सकता है कितुं तुम्हारा (आत्मा) नही........
5.काम,काम में है बाधा, काम से काम का नाश,काम करता रह
बन्दे हैं प्रभु है, तेरे पास...............
6.पवित्र शब्द पवित्र देह से ही प्रकट होते है
जो ईशवर की ही देन है वही वेद,गीता, कुरान ,
पुराण, देह में उतारता है...









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