Anhad yog is the best way to solve many problems .the spritual way is based on a simple understanding if we practised on ANHAD YOG .then we realize that the GURUS who showed us this path were the greatest wealth and most valuable treasures of us and by the help of ANHAD YOG we should aware ourself ..with regular practise we can feel real peace of mind .....
Wednesday, 4 February 2015
Monday, 2 February 2015
गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-55
1.अंत का सफर ही अनन्त का सफर है
यूँ भी तो जीवन सफर है
2.आत्मविश्वास होना अच्छा है
पर जाँच ले कही वे धमण्ड तो नही
3.राजनीति कहती है सबका विकास हो
राजनीति करती है सबका विनाश हो
4.भरे जा रहे है हम पन्नों को
काश जीवन मे अपनायेहरिहर क्यू न हर इंसा
जीता जगता वैद पुराण हो जाये
5.कोसता है इंसा हर वक्त
कुदरत के इंसाफ कोभूल जाता है क्यू वो
अपने कुकर्मो के हिसाब को
6.जीना जीवन का दस्तूर है
मत देख बीती गलतियों कोसब हाथ हरि,तू बैकसूर है
7.गहरी सोच,दिल की चोट
कभी न भूलनी चाहिये
8. क्यू राम राम कहते अंत सफर मे
याद रहे अंत नही वे अनन्त का सफरराम राम आराम है आरम्भ है
9.खोज तो बस इतनी सी है
मै कौन हूं ...?जान सका है कोई..?
जाने कितने फ़ना हो गये
ये ख़ोजते फ़लसफ़ा
चक्कर से घनचक्कर हो गये
ख़ोजते मै कौन हूँ
हरिहर मै बस मौन हूँ
10.सब कुछ तीन मे सिमट जाता है
1,2,3फिर भी हम कितने महान है
हमे 99 का फेर ही पसन्द आता है
गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-54
1.कोई कहै वैद पढ़ो कोई कह पढ़ो पुराण
हरिहर वो मन धरो जासै क्यु अनजान
2.आग लगानी है तो मन को लगा
पके हुये मन मे मिलता है खुदा
3.आस्था तो जन्म ले सकती है
केवल उसमे जिसमे करुणा हो
4.भलै दुनिया मे सब कुछ अजीब है
पर तू साया बनकर मेरे करीब है
5.सुख की कामना
दूख का कारणहरि नाम निवारण
6.पुराण प्रेम का दर्पण है
वैद विज्ञानं का विषय
7.वो तन ध्यान करते है
मै मन का ध्यान करता हूँतन का व्यापार करने वाला
तन को देखता है
मै मन व्यवहार करने वाला
मै मन को देखता हूँ
8.जो हरी स्मरण करते और कराते है
वही नैक कमाई कर रहे है वही सही मांयनै मे वही धनिक है
9.पैसा गया तो मान गया..?
कैसा झूठा ये सम्मान झूठे लोगो कि झुठी बाते
झूठ इन लोगो का भगवान
10.फकिर की झोपडी
न खाने को मालजलता दीपक दान का
न मदारी का जाल
केवल हरि खोज है
न चैलो को फौज
रैन बरसे छपर टपके
तपस मे बहै पसीना
ये है अपना जीना
माँगत मन मारा
पढ़त मारा तन
अंहद के मार्ग मे
बस बीते ये जीवन
आना है तो आ
हम बठै नैन बिछाये
आना है तो आजा
हम न पीछै आये
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