Monday, 2 February 2015

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-54


1.कोई कहै वैद पढ़ो कोई कह पढ़ो पुराण
हरिहर वो मन धरो जासै क्यु अनजान

2.आग लगानी है तो मन को लगा
पके हुये मन मे मिलता है खुदा

3.आस्था तो जन्म ले सकती है
केवल उसमे जिसमे करुणा हो

4.भलै दुनिया मे सब कुछ अजीब है
पर तू साया बनकर मेरे करीब है

5.सुख की कामना
दूख का कारण
हरि नाम निवारण

6.पुराण प्रेम का दर्पण है
वैद विज्ञानं का विषय

7.वो तन ध्यान करते है
मै मन का ध्यान करता हूँ
तन का व्यापार करने वाला 
तन को देखता है
मै मन व्यवहार करने वाला
मै मन को देखता हूँ

8.जो हरी स्मरण करते और कराते है
वही नैक कमाई कर रहे है वही सही मांयनै मे वही धनिक है

9.पैसा गया तो मान गया..?
कैसा झूठा ये सम्मान 
झूठे लोगो कि झुठी बाते
झूठ इन लोगो का भगवान

10.फकिर की झोपडी 
न खाने को माल
जलता दीपक दान का
न मदारी का जाल
केवल हरि खोज है
न चैलो को फौज
रैन बरसे छपर टपके
तपस मे बहै पसीना
ये है अपना जीना
माँगत मन मारा
पढ़त मारा तन
अंहद के मार्ग मे
बस बीते ये जीवन
आना है तो आ
हम बठै नैन बिछाये
आना है तो आजा
हम न पीछै आये

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