1.अंत का सफर ही अनन्त का सफर है
यूँ भी तो जीवन सफर है
2.आत्मविश्वास होना अच्छा है
पर जाँच ले कही वे धमण्ड तो नही
3.राजनीति कहती है सबका विकास हो
राजनीति करती है सबका विनाश हो
4.भरे जा रहे है हम पन्नों को
काश जीवन मे अपनायेहरिहर क्यू न हर इंसा
जीता जगता वैद पुराण हो जाये
5.कोसता है इंसा हर वक्त
कुदरत के इंसाफ कोभूल जाता है क्यू वो
अपने कुकर्मो के हिसाब को
6.जीना जीवन का दस्तूर है
मत देख बीती गलतियों कोसब हाथ हरि,तू बैकसूर है
7.गहरी सोच,दिल की चोट
कभी न भूलनी चाहिये
8. क्यू राम राम कहते अंत सफर मे
याद रहे अंत नही वे अनन्त का सफरराम राम आराम है आरम्भ है
9.खोज तो बस इतनी सी है
मै कौन हूं ...?जान सका है कोई..?
जाने कितने फ़ना हो गये
ये ख़ोजते फ़लसफ़ा
चक्कर से घनचक्कर हो गये
ख़ोजते मै कौन हूँ
हरिहर मै बस मौन हूँ
10.सब कुछ तीन मे सिमट जाता है
1,2,3फिर भी हम कितने महान है
हमे 99 का फेर ही पसन्द आता है
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