Wednesday, 17 July 2019

वैदिक संस्कृति का सफर

सोचे...........?..
वैदिक संस्कृति का सफर पुरापाषाण युग से भी पुराना है
वक्त के साथ परम्पराये बदलती गई,..
आलस्य और ईश्वर को पाने के छोटे रास्ते ने सनातन,आर्य,फिर हिन्दू और न जाने कितने नाम बदल कर वैदिक संस्कृति की हत्या कर दी, वैदिक कुल यानि ऋषि कुल परम्परा लोप होने लगी
सनातन, आर्य,हिन्दू न जाने कितने अलग अलग सम्बोधन मिले,वह शब्द जो आज हमें अपने लगते है यह सभी शब्द आततायीयो के दिये है जो वैदिक परम्परा को समाप्त करना चाहते थे जो कहि कहि गाली के रूप मे भी इस्तेमाल हुए, बरहाल 1200 लगभग वर्षो में इस्लाम के कटरपंथियो ने हिन्दू का नाम दिया,
किसी आततायी ने हमें रशियन आर्य कहा, किसी ने सनातन, पर सच यह कि हम हिंदू आर्य,सनातन,से पहले वैदिक परम्परा के अनुयायी हैं जो पूरे विश्व मे फैला था पुराणों से भी पहले थे तो बस वेद, आज हमारे पास वैद नही है जो 150 वर्ष पहले चोरी करा दिये गये

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