1. तु निराकार है या साकार है,..
हरिहर ये लडाई है उनकी,...
मेरे लिये तो तू मददगार है
2. गम़ बता या गम़ छुपा,..
आ गम़ से दे गम़ मिटा,.हरिहर .गम़ ये कया है श़ए..
जहाँ देखो गम़ का है अमबार लगा
3. इक पंछी जो नजऱ न आता है,...
पर घोसला बदला जाता है,...जैसा घोसला वैसा नाम,,..
वो पंछी जग में पाता है,...
ज्ञानी कहता पंछी ये गजब..
दूर गगन का भेद बतलाता..
तेज बाहर नजर का उजयारा,..
देख नही कोई इस को पाये,..
पर बंद नजर से अंहद योगी,...
हरिहर सच रोज़ आंनद उठाये
ये पंछी बडा अलबेला,...
दुर गगन की सैर कराये,..
महाज्ञानी ये पंछी ....
रब का साकार कराये....
4. हँसते हो हम पर, हरिहर सच खुशी की बात है,..
बरसो हुए, आज भी हमारी यादे तुमहारे साथ है
5.मुझे दुश्मनों की जरूरत नही,..
मेरे नादाऩ मित्र ही काफी है,..मेरा सर झुकाने को
6. तेरा दुःख़ मेरा हो,..
मेरा सुख तेरा हो,.. ग़र ऐसी सोच तेरी हो,...
तो मान रोज नया सवेरा हो
7. गुरु मेरौ ज्ञान,गुरु मेरौ अभिमान,..
देह दिये गुरु मिले तो भी सस्ता जान.हरिहर गुरु महिमा रब ही जाने,
देह नही गुरु ज्ञान पहचाने..
8. जो तुमहारी मजबूरी है वही हमारी मजबूरी है
तुमहारी उनसे दूरी है हमारी तुमसे दूरी है
9.
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