Monday, 31 March 2014

हिंदुत्व के लिये भी सोचे..

हिंदुत्व के लिये भी सोचे....
कया रखा है मतभेद बढाने मे...
सदियो से आपस मे लड़ रहे है...
कुयू लगे हो धर्म का नाश करवाने
जी रहेंहै डर डर के...
कया रखा है डर के मर जाने मे...
कया सच मे हो कायर...?
या मजा आता है काफिर कहलाने में...
हिंदुत्व के लिये भी सोचे....
कया रखा है मतभेद बढाने मे...
समय अभी भी है ..समझने और समझाने
वरना कम ही समय रह जाएगा
अल्पसंख्यक हो जाने में
अपने ही देश मे अल्पसंख्यक कहलाओगे
छोड गंगा सनान...कया हज को जाओ गे

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-12


1. हरि, हर में है राम रोम समाये...कृष्ण कण कण,
 हरिहर पर मैं मारै पर ही सब अंहद में नजर आये


2. खोज़ अपने आप को है तू छुपा कहा...
बाहर जिसे तू खोज़ रहा.बाहर है वो कहा..?

3. कुछ देर अपनी आँखो के साथ मन को बंद कर..
अंहद मे लगा गोता...फिर हरिहर देख आंनद...

4. राम हमारे रोम में,पर खेल समझ न आये....
हरिहर जो अंहद में आयेगा वामै राम समाये

5. अंहद में पाया है तुझको..खोने से डरता हूँ...
खोज़ तो जारी..खोज़ में खोने से डरता हूँ

6. राजा के लिये वही जीत ,है पर संत के जीत अहंकार है 
और मै तो खोज़ में खोने से डरता हूँ, खोज़ में खोने ही तो ...भटकना

7.सभी हरि सिमरन करने वाले श्री हरि के प्रेमी है
 वही संत महात्मा है सभी संतो महात्माओ को प्रणाम..

8. चल चले जहाँ न तकरार हो 
बस मुंद आंखे..निहारे तुम .को.
तुमको तो है, हमे तुम से प्रेम अपार हो
अंहद की गहराई में गोते रोज लगाये
माना बाहर है रोशनी पर फिर भी अंधकार है
हरिहर भीतरी अंधकार मे महा प्रकाश है
उस महा प्रकाश में ही हमारे हरि का वास है

9. मैं.ने सब छोड़ दिया है प्रभु..तेरे लिये...कहते है लोग 
कया सच कहते है लोग..?सब छोड़ दिया पर मै को जोड़ लिया है

10.तुझे होगी भीड़ में दबकर मरने की इच्छा...
मैं तो हरिहर,अपने अंदर की भीड़को भगाना चाहता हुँ

11.यहाँ ...जल..रहा है
वहाँ ...जल..रहा है
जहाँ देख़ो वहाँ ...जल..रहा है
यू तो सारा जहाँ ..जल..रहा है
हरिहर पर मेरे बंधु गंगा यमुना में जल कहा रहा है....

Friday, 21 March 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-11


1. हरिहर इंसान और भगवान में कया अंतर है...?
भगवान मौका देता है और इंसान दोख देता है

2.कोई कहता..ज्ञानी है...कोई कहता ज्ञानहीन है..पर

हरिहर ज्ञानहीन ही अच्छे पर है तो तेरी निगाह में सच्चे

3.खोज खोज,...वो, जो मिला नही किसी को..
यहि तेरे जीवन का आधार.है..बनते हो,महा योगी

4.दर्द का दर्द से होता है... रिश्ता....... कहते है लोग
फिर भी कुयू...ज़माने में रि...सते, रि..सते रहते हैलोग

5. ढूढ..ढूढना है तो, खुद को....दूसरो मे कया कमियाँ ढूढताहै
पूर्ण...तो पूर्ण विराम मे भी लगता है पर वो मन को नही जचँता है

6.हरिहर ..चल चले......वहाँ जहाँ प्रेम हो.....तकरार की जगह नहो 
तकरार तलवार है जो काटती है..विश्वास को..फिर वो तेरा हो या मेरा

7.उनके पितृ स्वयं तर जाते है जिनके यहाँ हरि सिमरण करने वाले जन्म लेते है

8.तेरा तुझ में है बसा । पर देह बसा अभिमान........
हरिहर,अभिमान पहले छोडिए तब होगा कल्याण

9.जो करना है कर ....हम तो है जोकर चलो हम जग को हँसाते है
बेकार की शय...नही.........हरिहर कुछ तो काम आते है

10. चल तो कुछ दूर मेरे साथ.. तूझे अहसास करा दू ।
क्या खोया क्या पाया हरिहर मैं मैने तुझे दिखा दू

11.विषयो का ज्ञान ही विज्ञान है।जहाँ विज्ञान समाप्त होता है 
वहाँ से पराविज्ञान ईश्वरिय विज्ञान आरम्भ होता है

12. मैं पागल मन पाने की चाह बसी...
अब समझा.. हरिहर पागल है प्रेम गली

13.फानुस बन कर वो रोशन चिराग करता है....
वही जलता.. जिसे वो याद करता है

14.पापी मन, पापी तन,पापी भयौ सब संसार रे, 
हरिहर कलियुग माही पाप भयौ हरि आन उबार रे,

Monday, 17 March 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-10


1. गऱ रोने से तकलीफें कम हुआ करती...
तो हरिहर कौन मानता तेरी खुदाई को


2.थाम ले मुझको....अपने दामन में...बरस जाऊ..
हरिहर बनकर मोती..किसी गरीब के आंगन में

3.मेरी औकात...कतरा है वो भी...जो तू माने तो..
वरना फनां होने मे हरिहर मेरे पल ही कांफी है

4.हरिहर.................यदि प्रभु मिलन की चाह मन में है 
तो आपको अपनी बाकि सभी चाह का अंत करना होगा

5.कर्ज दुखो का विशाल बोझ है..
जो पहले नारियल के अंदर की तरह,
कोमल और फिर बाहर की तरह कठोरहोता है..
लो (चखो )तो मजा ...
फिर सजा......

6.तेरी हरकतो पर मेरी नजर है..
किसी को हो नहो मुझे सब खबरहै

7.हम सभी माताओ को चरण छुकर प्रणाम करते है 
पर गंगा एक मात्र वह मॅा है चरण छुकर आर्शीवाददेती है

8.जिसकी की अभिलाषा की सीमा नहीहै। वही संसार के बड़े भिखारी है
हरिहर....... जिसने अभिलाषाओ पर अकुश लगा लिया वही संत है


Saturday, 15 March 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-9


1.सच की एक छोटी सी चिंगारी झूठ के बडे से बडे पहाड को नष्ट कर देती हैं ।

2.पहचान तो सही...मैं कौन हूँ..मैं तेरा एहसास हूँ.
कर उपयोग:हरिहर: मैं..जन्म से तेरे पास

3.भगवान का भोग...भजन है।
भगवान का प्रेम..भक्त का भाव है

4.हरिहर भुखे को भजन, भरे का खाना ।
निशचयत है दोनो का व्यर्थ हो जाना

5.हरिहर भाव भाव में भावना,और भावना में भाव है। 
भावना से सम्भावना,भाव बिना सम्भावना भी बेकार है॥

6.हरिहर,.......... प्रेम तपस्या है
किंतु प्रेम में मोह तथा मांग न हो

7.हरिहर,...........एक पाप,
सौ सांपो से भी जहरीला है

Sunday, 9 March 2014

MUJE MERI TALASH H....



MERI TALASH ME DUNIA SARI H......
PER MUJE MERI TALASH H
AA........ TAL PER......
NAHI TO HARIHAR LASH H
MUJE MERI TALASH H........
DHUND RHA HU KAB SE....?
KHI FAS GYA HU JAB SE
PEHLE TERI TALASH THI .....
AB MERI LASH H.......
MUJE MERI TALASH H.....
M NIKLA M MAY M FAS GYA..
MUJKO KISKI TALASH H..?
DHUND RHY H KIS KO...?
YHI TO SBI LASH H...
MUJE MERI TALASH H...
VISHWAS H........
TALASH HOGI PURI....
PER AJTO VISH KA WAS H....
HAR KOI BE VISHWAS H
PER,,,,,,,,,,,,MUJKO MERI TALASH H.....
HARA NHI HARIHAR
Y TO HARE KI LASH H...
TU H GAR SAKHA MERA...
FIR KAISI TALASH H,,,,,?
MIT GAYI SADIYO KI PYAS...
JO TU PAS H...
KUCH KHOYA HI NHI
SAB KUCH MERA MERE PAS H....................................
AARAMBH M TALASH THI
NAHI AB MUJE KISI KI TALSH H
JO TU MERE PAS H...........................