Friday, 21 March 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-11


1. हरिहर इंसान और भगवान में कया अंतर है...?
भगवान मौका देता है और इंसान दोख देता है

2.कोई कहता..ज्ञानी है...कोई कहता ज्ञानहीन है..पर

हरिहर ज्ञानहीन ही अच्छे पर है तो तेरी निगाह में सच्चे

3.खोज खोज,...वो, जो मिला नही किसी को..
यहि तेरे जीवन का आधार.है..बनते हो,महा योगी

4.दर्द का दर्द से होता है... रिश्ता....... कहते है लोग
फिर भी कुयू...ज़माने में रि...सते, रि..सते रहते हैलोग

5. ढूढ..ढूढना है तो, खुद को....दूसरो मे कया कमियाँ ढूढताहै
पूर्ण...तो पूर्ण विराम मे भी लगता है पर वो मन को नही जचँता है

6.हरिहर ..चल चले......वहाँ जहाँ प्रेम हो.....तकरार की जगह नहो 
तकरार तलवार है जो काटती है..विश्वास को..फिर वो तेरा हो या मेरा

7.उनके पितृ स्वयं तर जाते है जिनके यहाँ हरि सिमरण करने वाले जन्म लेते है

8.तेरा तुझ में है बसा । पर देह बसा अभिमान........
हरिहर,अभिमान पहले छोडिए तब होगा कल्याण

9.जो करना है कर ....हम तो है जोकर चलो हम जग को हँसाते है
बेकार की शय...नही.........हरिहर कुछ तो काम आते है

10. चल तो कुछ दूर मेरे साथ.. तूझे अहसास करा दू ।
क्या खोया क्या पाया हरिहर मैं मैने तुझे दिखा दू

11.विषयो का ज्ञान ही विज्ञान है।जहाँ विज्ञान समाप्त होता है 
वहाँ से पराविज्ञान ईश्वरिय विज्ञान आरम्भ होता है

12. मैं पागल मन पाने की चाह बसी...
अब समझा.. हरिहर पागल है प्रेम गली

13.फानुस बन कर वो रोशन चिराग करता है....
वही जलता.. जिसे वो याद करता है

14.पापी मन, पापी तन,पापी भयौ सब संसार रे, 
हरिहर कलियुग माही पाप भयौ हरि आन उबार रे,

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