1. वो बाँझ को भी प्रसव की वेदना देताहै,
श्री हरि ..
धूर्त को भी चिरन्तर साधना का सुख देता है
उसका नही कोई शत्रु ......
ना कर अपनी चिंता हरिहर
वो बिखरे को भी समभाल लेता
2.कर हरि सिमरण वही आयेगे,
किसे कब बाना बिगाडना है तुमहे समझायेगे
माँ गंगा ने पुखे तारे..
हम काे गंगा बचाये, हम गंगा काे बचाये
आओ संकल्प ले हम गंगा काे बचाये
अध्यात्म सुख तभी प्राप्त होता जब(समाजिक शांति) समाजिक सुख प्राप्त हो..
श्री हरि ..
धूर्त को भी चिरन्तर साधना का सुख देता है
उसका नही कोई शत्रु ......
ना कर अपनी चिंता हरिहर
वो बिखरे को भी समभाल लेता
2.कर हरि सिमरण वही आयेगे,
किसे कब बाना बिगाडना है तुमहे समझायेगे
3. ग़म समभाल कर रख़ काम आयेगे,
ग़म भी गुरू गुरूर है ऱब तक पहुचायेगे
4. मारना अच्छी सोच नही अति अच्छी सोच है
पर मारो अपनी हवस को और गरीब की भुख को
5. तेरे भीतर आग है..तो कया दुनियाँ को जलायेगा
बन इंसा़ किसी गरीब की भुख तो मिटायेगा
6. मन मेरे परवाह ना कर,कोई कया कहैगा
तू हरिहर मिट्टी है बस रंग बदले गा
7. मैं हरिहर वेला...सोचा,
जीवन ये कुछ काम में आवे..माँ गंगा ने पुखे तारे..
हम काे गंगा बचाये, हम गंगा काे बचाये
आओ संकल्प ले हम गंगा काे बचाये
8. मेरा काम राजनीति करना नही है .....
पर मेरा काम राक्षसनीति पर आखे बंद करना भी नही हैअध्यात्म सुख तभी प्राप्त होता जब(समाजिक शांति) समाजिक सुख प्राप्त हो..
9. मैं.ने सब छोड़ दिया है प्रभु..तेरे लिये...कहते है लोग
कया सच कहते है लोग..?सब छोड़ दिया पर मै को जोड़ लिया है
10. पापी मन, पापी तन,पापी भयौ सब संसार रे,
हरिहर कलियुग माही पाप भयौ हरि आन उबार रे,
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