हरिहर,चार चकोर चारण की यारी..
उठ मुसाफिर कर चलन की तैयारी...
काऊ न ताऊ काऊ ना ही भराता,
दूर घनेरा काऊ साथी काम नही आता
हरिहर देख, देख सब है मुसकाये,
इस अंत सफर से कैऊ बचने न पावे
कर लाख जतन सबहु है, बेकार
छोड़ मोह माया जाना है उस पार
बिनू कहें धीरे से वो निंकर जाएगी ...
घाति दुसमन जान की तौहे, बस ठेगा ही दिखाये गी
पल दो पल माही रोकर सब हीभूल जाएगे....
महल चौबारे,सब एेैही धरै रह जाएगे
उठ मुसाफिर कर चलन की तैयारी...
काऊ न ताऊ काऊ ना ही भराता,
दूर घनेरा काऊ साथी काम नही आता
हरिहर देख, देख सब है मुसकाये,
इस अंत सफर से कैऊ बचने न पावे
कर लाख जतन सबहु है, बेकार
छोड़ मोह माया जाना है उस पार
बिनू कहें धीरे से वो निंकर जाएगी ...
घाति दुसमन जान की तौहे, बस ठेगा ही दिखाये गी
पल दो पल माही रोकर सब हीभूल जाएगे....
महल चौबारे,सब एेैही धरै रह जाएगे
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