1. मैं हार मानता हुँ तुम ज्ञानी,महान हो....
तुम जीते मैं हारा,फिर.. तुम कयु परेशान हो..?
2. मुझे इतनी फुर्सत कहाँ कि मैं तक़दीर का लिखा देखूं..
मैं पयासा हरि नाम का मुझे फुर्सत कहाँ की कुछ और देखु
3. बदल ले अपनी सोच को...
कयु परेशां होता है..दुनियाँ नही बदलेगी..
कयु दुनियाँ के लिए रोता है.
4. माँग पर माँग जारी है..
माँगना भी एक बीमारी है...कोई रब से माँगता है...
कोई सब से माँगता है...
जो बन रहे..दानवीर...
वो ही सबसे बडे़ भिखारी है
माँगना भी एक बीमारी है...
5. हरिहर कौन कहता है वो साथ नही देता...
अरे पागल मन तू अपनी आँखे कयु नही खोल लेता
6. गर्म रेत के कण ..
धीरे धीरे ही खिसकते है..छोड़ दो वो रिश्ते..
जो बोझल,.सिसकते है
7. मार गोली जमाने को...
कया किसी से डरता है जब हरि ही तो अपना करता धरता है
8. चल परेशां न हो...
हम हमसफ़र बनते है..काँटे तो राह में आयेगे..
हम नही जखमो से डरते है..
9. जो करते है साथ निभाने के वादे,,,
वो कभी काम न आयेगे कोई साथ गया है..
जो वो जायेगे
10.कोई नही समझेगा..तेरे दर्द को..
तू खुद ही वक़्त का मरहम लगा..अकेला है सफ़र तेरा..
तू अकेला ही चलता जा
11.सब और शोर है..बस शोर ही शोर ....
जिंदगी का पता नही किस और है...
12.चलो जहा़ बदले,
हवा बदले फिजां बदले
ना ले किसी से बदले
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