1. मर गये कितने ढुंढते उसे,
मर जायेगे कितने ढुंढते उसे,
फंकत बाज़ार मै वो मिलने वाली श़ नही
2. बहुत दिन हो गये, तेरी राह़ पर चलते चलते..
ऐ मेरे अजीज़ अब तो दो कदम तू भी बडा ले...
3. मर गये कितने ढुंढते उसे,
मर जायेगे कितने ढुंढते उसे, फंकत बाज़ार मै वो मिलने वाली श़ नही
4. तू भी परेशान,हम भी परेशान,..
बा अदब तेरा सबब अलग है...हमारा सबब अलग है....
तू खुद के लिए परेशानहै...
हम मिलें,खुदा इसलिए परेशान है.....
5. अहसास है हम को तेरी परेशानियो का...
तेरी परेशानियो के सबब अपनी...
रूह का दिपक जलाते है हम....
तेरी परेशानियो के सबब अपनी...
रूह का दिपक जलाते है हम....
6. सच्ची मित्रता का आधार है राम ..
केवट,विभिषण,शबरी का सच्चा प्रेम है राम
केवट,विभिषण,शबरी का सच्चा प्रेम है राम
7. अगर हिन्दी का प्रयोग करने वाले गवार होते है तो हम गवार ही सही...........
8.
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