Wednesday, 11 June 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-25


1.ये तेरी नजर है ..? कया ढुंढती है मेरी परछाई में,..

2.सुख की इच्छा..दुख की जननी है
जो तुमहारे तप को खा जाती है

3. बहुत कुछ तुमहारे आस पास घट रहा है..उसे खोज़ना है या कहो उस पर ध्यान लगाना है..वही बाहरी गुप्त ज्ञान है जैसे पक्षियो की आवाजे़,हवा का संगीत,धरती की खामोशी,और बहुत कुछ जो साकार अनुभव है जो तुमहे भीतर ले जा सकता हैः जहाँ कभी नही पहुचे जानो ईश्वर ने ही तुमहारा हाथ पकडा है यही अंहद के आंनद का प्रथम अनुभव है

4. भ..भक्ति                          न...नमन
ग..ज्ञान                               ा..आंनद
व ..वैराग्य                            व ..वैराग्य
ा..आंनद                               ग..ज्ञान 
न...नमन.....                                                  भ..भक्ति.................महाशुन्य

5. चल हट झुठे,हरिहर कहता है हम प्रेम नही करते..
मेरी तो छोड़ अपनी सांसें देख कम होने लगी है

6.पेठा मिठाई गर सोफट हो तो हर हाथ में जाती है 
......हरिहर वही इंसानियत की भी खुबी होती है

7.हरिहर के चाहने वाले मरा नही करते,..
बंधु रोग तो आना जाना है
मरना ताे शरीर का बहाना है..

8. वो अपने बल पर अभियान करता था..
पर जब पेशाब बंद हो जाता है तब.....?
बल सो जाता है और
अभिमानी रो जाता है

9. चारो और शोर है,..वो जाग गया..
निशचय है,वो मजिंल पायेगा...
परेशान न हो बंधु'''
अहसास़ भी करवायेगा

10.तुमें मुझमें अंतर कया...
तुम विष का प्याला पीते हो
हमे जह़र ज़माना देता है
हरिहर,तुम अमर हो...
हमें ज़हर कुडाता बस है


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