Wednesday, 29 October 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-38


1. थोडा कहो, पर साफ कहो,..
सु,सु से सुसरी अच्छी बाते,..
राह अलग हो जाये भली ..
पर अच्छी नही जुतम लात...

2. मेरे यहाँ मित्रता का ये ही असुल है
ग़र अच्छाईयाँ तेरी कबुल है
तो बुराईयाँ भी तेरी कबुल है
य़े ही सच मित्रता का मूल मंत्र है

3.न कर मुर्खो वाली बात,... 
रब तेरा साथी है ,..
साक्षी इस बात की...
सांस तेरी जाती है..

4. हरिहर,ग़र मर कर ही रब मिला,..
तो कुयू कर इंसान को रब पैदा करता

5. हरिहर,जादू बस आँखो का खेल है 
कहा पत्थर भ्रमजाल में फँसते है

6. हरिहर,ढुढ रह है तुम को कोई अंहद के संसार में,..
तुमहारी मिट नही सकती खुमारी बाहर के प्यार में

7. हार नही,........... मंथन जारी रखो

8. भीड़ मे गुम न हो जाय मेरे खास
चन्द लोगो मे हो तुम,रहो मेरे पास

9. अधिक दुध था यारो
उसमे से निचोड़ घी निकाल लिया
जों उत्तम थे उने आपना बना लिया

10. हकिम ने कहा तनाव कम करो,.
.हमने यारो को कम कर दिया

11. 

Monday, 27 October 2014

वो मालिक, ..........


हरिहर तेरी या मेरी..
औकात ही क्या है...
उस रब के सामने,..
.मिटा देता है वो.....
हजा़रो काय़नात को..
.इक पल में ही...
बनाया है कभी..
इक फूल भी तुने...
बात करता है...
रब होने की...
वो मैं से अंहकार
बना देता है,...
वो तुझसे कितने खुदा
पल मिटा देता है...
वो चट्टान में फूल उगा देता है
मारें हाथी को ..
इक अदनी चीटी...
वो ऐसी तरकीब
बना देता है...
वे रंक को राजा..
.राजा को रंक बना देता है
पल मैं ही वो .
अच्छे.अच्छे को...
उनकी औकात
बता देता है..
सुनकर तेरी खरी खोटी,...
वो मालिक,
मंद मद मुस्करा देता है
मुस्करा कर जो मिटा दे..
अपनी हस्ती..
उनको ही वो .
.अपने घर का पता देता है

Sunday, 19 October 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-37



1.जानें कयू निकल रहे है...
आँखों से छुप छुप अश्रु .....
लगता तुम आस पास हो

2. तेरी माया से अब डर नही लगता,..
जान गया है हरिहर,.....
आना जाना है तेरा घर किसी फकीर के,...

3. मेरी तंहाइया मेरी साथी है
यू कि भीड़ में कहा रब मिलता हैं

4.छुप कर रहता हुँ ..
न मजबूरी है...
न कोई दूरी है ....
न ही जरुरी है...
.
.
न ही अहँकार.
न ही कोई अभिमान है..
छुप कर रहता हुँ ..
हूँ छुईमुई सा.....
डर जाता हुँ देख भीड़
यू लगता है खो न जाऊ....
अकेला रो ना जाऊ,..
..
.
फिर तुम्हें ऐ रब,..
परेशा़ भी तो नही करना..
रो पडते हो बच्चों की तरह
देखकर मेरी मजबूरियाँ
.
.
.
सिखा है तुमसे ही प्रभु,..
छुप छुपकर रहना,..
अकेले में मिलते हो तूम,.
छुप छुप अश्रु बहाने वालों को

5.मरे तो होगे तुम भी लाखो बार
मन को मर के....?

.
.
.
.
झूठ हैं यारो
ग़र मन को मारा होता
तो मरना ना पडता
यू बार बार,लाखो बार

6. कैसे रुलाते है लोग उनको,
जो रो रो कर रब से तुझे माँगते थे

7. अन्हद की तार 
अन्हद का संसार
अन्हद की पुकार
अन्हद की झंकार
अन्हद का प्यार
.
.
.
सब तुम्हारे पास हैं
बस विश्वास नहीं हैं

8. मै लिखता तो कुछ मीठा लिखता
पर अनुभव कड़वा पर सच लिखता
पर शब्द,नीम शब्दभैदी सा
ग़र रास आये तों
हरिहर हर रोग मिट जाये
तन का मन का और जतन का
शब्द तुले तो घर बन जाये
बिगड़ा शब्द तो जग बिगड़ा
फिर जग न जुड़ने पाये

9. रंग तेरे हजारों,लाखों रूप हैं
हरीहर,करोड़ो पहचान तेरी
फिर भी तुम प्रभु, जाने कैसे एक हो

10. एहसान तो एहसान हैं
जो उतर जाये वो एहसान ही कैसा

11.तन की मन की और अरंग (आत्मा) की मैल धोने के लिये
सुपर उजाला के लिये,.
रोज़ प्रयोग करे...
.........योग,..
योग से मिलता ध्यान,.
ध्यान,. से मिलेगा उतम ज्ञान
ज्ञान..से मिलती है पहचान
अपनी और रब की........
न रहेगी मैल,
रहे कपडे ( शरीर) सुंदर और सुऱक्षित..
थोडा थोडा मलै सालो साल चले

12. सोने का निवाला खाने वाला
दो टुक निवाला कया जाने
वो झूठे सपने बेचने वाले
दर्द ए हकीकत कया जाने
आंखे जिनकी चुंदयाति हो
तेज हवाओ के झोको से
वो उस धरती का दर्द क्या जाने
कूय़ू झुला किसान बिचारा फंदे पे
जो ठन्डै पानी के डर से
कालीनों पर तैरते हो
वो हालते ए सैलाबै क्या जाने
वो कफन चोर,
ख्यरातो को बैचने वाले
शहीद की बेवा़ का दर्द क्या जाने

13.

Thursday, 9 October 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-36


1. यारो टुथपेस्ट मे नमक ह़ो या न ह़ो
पर खून में नमक हरामी नही होनी चाहीये
ये अन्दर की बात हैं.....

2. गंगा माँ है गंगा हमारी पहचान है गंगा है तो हम है गंगा नही तो हम और हमारी सस्कृति नही.... 
गंगा शुद्ध हो,गंगा बचे अति आवश्यक यह है यह नही किसने अधिक प्रयास किया

3. आज भी रोंज कही न कही 
सीता की अग्नि परीक्षा होती है
कही देहज के लिए जलती है
कही जन्म पाने को कोख़ को तरसती है

4. आज भी हिन्दुत्व को खतरा है
आज के मीरजाफ़र जयचंदों से

5. कोन कहता है रावण मर गया....?
जो ये हर साल मरता हैं ये कोन हैं

6. हे पऱमेशवर,..
जो लोग माँगे उनहे देना,..
ग़र माँग मेरी बडी लगे तो,...
जो लोग माँगे उनहे ना दे सके तो...
ऐसा तो अवश्य करना कि उंहे माँगने की आवश्यकता नही पडे

7. अब किसी के दर्द में कौन शामिल होता है
इसी लिये कहता हूँ दर्द अकेले का होता है

8. बार बार लगाकर तस्वीर को अपनी,...
जतला रहा हू मै,यारो हम भी ज़िन्दा है

9. हरिहर, मरने से कोंन डरता हैं य़ारों
दर्द तों सच लम्बी ज़िन्दगी हैं यारों
किसी की भी कटती नही आराम से,.
कोई परेशा़ है अपना से, कोई माल हराम से

10.हा कोंन रब क़ो प़ायेगा
जो अन्हद में आयेग़ा
क्या है अन्हद'
आ तो.....भीतर 
खुद जान जायेगा

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-35



1. धर्म वही हैं जिस के मूल मे दया हैं
धर्म का जन्म विश्वास से होता हैं
ज्ञान का जन्म योग से होता हैं
ज्ञान ही मानवता का जन्मदाता हैं

2. उगते सूरज को सब सलाम करते हैं
हरिहर पर भूल जाते हैं
उनका तेजस्वी सूरज शाम होते ही अस्त हो जाता है
मै अस्त होते सूरज को सलाम करता हूँ
जो नि संकोच बाँट अपनी उर्जा अस्त होता हैं 
फिर जोश से करने अगले दिन की तैयारी क़ो
वही सच्चा त्यागी ,संत हैं वही संतो का मार्गदर्शक

3. योग और भोग...
भोग बिखराव है और उस बिखराव ठहराव योग से समभव है.....

4. तेरे गिरने में तेरी हार नही,.. 
इसे आरम्भ समझ, 
प्रयास तेरा बेकार नही

5. हर कोई देश बचाना चाहता हैं
हर कोई देश जगाना चाहता हैं
पर कया खुद जागना चाहता हैं....?

6. आज कल लोग कुते पालते हैं
भाई इससे अच्छा हैं गाय पाल़ो
गाय दुध ओर आशीर्वाद देगी

7. सच,सच मे बड़ी ताकत होती हैं
एक सच मजबूत से मजबूत 
नाते कों पल मे तोड़ देता हैं

8. इक वो दोंर भी देखा था यारो
लोग मुछ के बाल पर जान नोच्छावर कर देते थे
इक आज का विकसीत दोंर भी देखों यारो
दाम बड़ा मिले तो इज्जत ईमान भी बेच देते हैं

9. चल चले जहाँ कोई न हों
वहां न मै रहू न तु रहे
रहे तों बस हम रहे....
हम रहे हर दम रहै.....

10. बेचकर गैरत रुतब़ा पाया तो क्या पाया
अच्छा हैं इससे दरवेश डयोंडी किसी फ़कीर का