Thursday, 9 October 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-35



1. धर्म वही हैं जिस के मूल मे दया हैं
धर्म का जन्म विश्वास से होता हैं
ज्ञान का जन्म योग से होता हैं
ज्ञान ही मानवता का जन्मदाता हैं

2. उगते सूरज को सब सलाम करते हैं
हरिहर पर भूल जाते हैं
उनका तेजस्वी सूरज शाम होते ही अस्त हो जाता है
मै अस्त होते सूरज को सलाम करता हूँ
जो नि संकोच बाँट अपनी उर्जा अस्त होता हैं 
फिर जोश से करने अगले दिन की तैयारी क़ो
वही सच्चा त्यागी ,संत हैं वही संतो का मार्गदर्शक

3. योग और भोग...
भोग बिखराव है और उस बिखराव ठहराव योग से समभव है.....

4. तेरे गिरने में तेरी हार नही,.. 
इसे आरम्भ समझ, 
प्रयास तेरा बेकार नही

5. हर कोई देश बचाना चाहता हैं
हर कोई देश जगाना चाहता हैं
पर कया खुद जागना चाहता हैं....?

6. आज कल लोग कुते पालते हैं
भाई इससे अच्छा हैं गाय पाल़ो
गाय दुध ओर आशीर्वाद देगी

7. सच,सच मे बड़ी ताकत होती हैं
एक सच मजबूत से मजबूत 
नाते कों पल मे तोड़ देता हैं

8. इक वो दोंर भी देखा था यारो
लोग मुछ के बाल पर जान नोच्छावर कर देते थे
इक आज का विकसीत दोंर भी देखों यारो
दाम बड़ा मिले तो इज्जत ईमान भी बेच देते हैं

9. चल चले जहाँ कोई न हों
वहां न मै रहू न तु रहे
रहे तों बस हम रहे....
हम रहे हर दम रहै.....

10. बेचकर गैरत रुतब़ा पाया तो क्या पाया
अच्छा हैं इससे दरवेश डयोंडी किसी फ़कीर का


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