Thursday, 9 October 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-36


1. यारो टुथपेस्ट मे नमक ह़ो या न ह़ो
पर खून में नमक हरामी नही होनी चाहीये
ये अन्दर की बात हैं.....

2. गंगा माँ है गंगा हमारी पहचान है गंगा है तो हम है गंगा नही तो हम और हमारी सस्कृति नही.... 
गंगा शुद्ध हो,गंगा बचे अति आवश्यक यह है यह नही किसने अधिक प्रयास किया

3. आज भी रोंज कही न कही 
सीता की अग्नि परीक्षा होती है
कही देहज के लिए जलती है
कही जन्म पाने को कोख़ को तरसती है

4. आज भी हिन्दुत्व को खतरा है
आज के मीरजाफ़र जयचंदों से

5. कोन कहता है रावण मर गया....?
जो ये हर साल मरता हैं ये कोन हैं

6. हे पऱमेशवर,..
जो लोग माँगे उनहे देना,..
ग़र माँग मेरी बडी लगे तो,...
जो लोग माँगे उनहे ना दे सके तो...
ऐसा तो अवश्य करना कि उंहे माँगने की आवश्यकता नही पडे

7. अब किसी के दर्द में कौन शामिल होता है
इसी लिये कहता हूँ दर्द अकेले का होता है

8. बार बार लगाकर तस्वीर को अपनी,...
जतला रहा हू मै,यारो हम भी ज़िन्दा है

9. हरिहर, मरने से कोंन डरता हैं य़ारों
दर्द तों सच लम्बी ज़िन्दगी हैं यारों
किसी की भी कटती नही आराम से,.
कोई परेशा़ है अपना से, कोई माल हराम से

10.हा कोंन रब क़ो प़ायेगा
जो अन्हद में आयेग़ा
क्या है अन्हद'
आ तो.....भीतर 
खुद जान जायेगा

No comments:

Post a Comment