Sunday, 19 October 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-37



1.जानें कयू निकल रहे है...
आँखों से छुप छुप अश्रु .....
लगता तुम आस पास हो

2. तेरी माया से अब डर नही लगता,..
जान गया है हरिहर,.....
आना जाना है तेरा घर किसी फकीर के,...

3. मेरी तंहाइया मेरी साथी है
यू कि भीड़ में कहा रब मिलता हैं

4.छुप कर रहता हुँ ..
न मजबूरी है...
न कोई दूरी है ....
न ही जरुरी है...
.
.
न ही अहँकार.
न ही कोई अभिमान है..
छुप कर रहता हुँ ..
हूँ छुईमुई सा.....
डर जाता हुँ देख भीड़
यू लगता है खो न जाऊ....
अकेला रो ना जाऊ,..
..
.
फिर तुम्हें ऐ रब,..
परेशा़ भी तो नही करना..
रो पडते हो बच्चों की तरह
देखकर मेरी मजबूरियाँ
.
.
.
सिखा है तुमसे ही प्रभु,..
छुप छुपकर रहना,..
अकेले में मिलते हो तूम,.
छुप छुप अश्रु बहाने वालों को

5.मरे तो होगे तुम भी लाखो बार
मन को मर के....?

.
.
.
.
झूठ हैं यारो
ग़र मन को मारा होता
तो मरना ना पडता
यू बार बार,लाखो बार

6. कैसे रुलाते है लोग उनको,
जो रो रो कर रब से तुझे माँगते थे

7. अन्हद की तार 
अन्हद का संसार
अन्हद की पुकार
अन्हद की झंकार
अन्हद का प्यार
.
.
.
सब तुम्हारे पास हैं
बस विश्वास नहीं हैं

8. मै लिखता तो कुछ मीठा लिखता
पर अनुभव कड़वा पर सच लिखता
पर शब्द,नीम शब्दभैदी सा
ग़र रास आये तों
हरिहर हर रोग मिट जाये
तन का मन का और जतन का
शब्द तुले तो घर बन जाये
बिगड़ा शब्द तो जग बिगड़ा
फिर जग न जुड़ने पाये

9. रंग तेरे हजारों,लाखों रूप हैं
हरीहर,करोड़ो पहचान तेरी
फिर भी तुम प्रभु, जाने कैसे एक हो

10. एहसान तो एहसान हैं
जो उतर जाये वो एहसान ही कैसा

11.तन की मन की और अरंग (आत्मा) की मैल धोने के लिये
सुपर उजाला के लिये,.
रोज़ प्रयोग करे...
.........योग,..
योग से मिलता ध्यान,.
ध्यान,. से मिलेगा उतम ज्ञान
ज्ञान..से मिलती है पहचान
अपनी और रब की........
न रहेगी मैल,
रहे कपडे ( शरीर) सुंदर और सुऱक्षित..
थोडा थोडा मलै सालो साल चले

12. सोने का निवाला खाने वाला
दो टुक निवाला कया जाने
वो झूठे सपने बेचने वाले
दर्द ए हकीकत कया जाने
आंखे जिनकी चुंदयाति हो
तेज हवाओ के झोको से
वो उस धरती का दर्द क्या जाने
कूय़ू झुला किसान बिचारा फंदे पे
जो ठन्डै पानी के डर से
कालीनों पर तैरते हो
वो हालते ए सैलाबै क्या जाने
वो कफन चोर,
ख्यरातो को बैचने वाले
शहीद की बेवा़ का दर्द क्या जाने

13.

No comments:

Post a Comment