Thursday, 17 September 2015

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:- 60


1.मन्दिर -मन के अंदिर
मन के अंदिर जो है वही परमसत्ता है
मन-यानि मनन 
मनन यानि ममता, नर्मता, बीच नयन

2.तो सोचो.....
क्या भेड़ चाल करने वालो को भेड़ मिलती....?
क्या दूसरे के लाल गाल देखकर आप भी
अपने गाल लाल करतै है...?
क्या परमात्मा खोजने वालो को मिलता है....?
ग़र ऐसा है तो सुबह सुबह कूड़ा चुगने वालो को
सबसे पहले मिलेगा..)
क्युकि वो तो सारा दिन की ख़ोजतै है..?
खोजने की आवश्यकता उसे जो खोया हो...
क्या तुम्हारा परमात्मा खो गया है......?
वो भीतर भी है वो बाहर भी...
एक वही तो है जो है....
बाकि क्या है शनभंगुर......
स्वामी हरिहर :-

3.हरिहर क्या बात है वाह वाह रे इंसान 
गरीब के मिट्टी के,अमीर के सोने के भगवान

4.कद बड़ा तू भी अपना कद बड़ा
सोच,औरो की जय घोष से पहले
न तलवे चाटुता मै अपना नाम लिखा
कद बड़ा, बस तू अपना कद बड़ा..
सच है सम्मान के बदले सम्मान दे 
पर न किसी की बातो के जूते खा
हरिहर सच क्या नही बन्दे तुझमे
गर्व से तू भी अपना सर उठा


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