1.जाँच मन को और कहा क्या रखा है
हरिहर जो भी रखा है यही रखा है
2.मैं हरि गुण गाऊ ....
मै तेरी शरण आऊ....कृपा करो प्रभु हम पर.....
जियूँ,मरू बस तेरे दर आऊ
3.परेशानिया ही बड़ाती है
बदलती रोशनियां तेरीआ छान ले रोशनियाँ
मिलाकर सबको हम
हरिहर एक रब बना ले
4.रोज़ ही मर रहे है लोग
पर बहाने अनेक हैहोता मराना ही ज़िहाद
तो क्या जरूरत थी
उस रब को बनाता
ये जहाँ इंसानो का
5.मिट गई है भुख
अब सम्मान कीन डर अपमान का रहा
हो रहा है तंग घेरा
मेरे नसीब का
उठ उठ कर रातो को
ढुंढता हूँ अक्ष तेरा
कमी बस रह गई इतनी
पत्थर ही मरगे अब लोग
हो रहा हैं तंग घेरा
मेरे नसीब का
घेर लेती है परेशानिया
होता हूँ जब भी करीब
नसीब के..
द्वन्द भी नही रहा
मन का और मनके का
आ गई तन्हाईया
मेरे नसीब की
मन लू
ग़र कह दे
कि हाँ तू
मेरे करीब है
6.तुम सफल व्यक्तियो को अपना आदर्श मानते हो अच्छा है
पर सही शिक्षा तो असफल व्यक्ति से मिलती हैकिन राहो से बचना है
7.रामचरित्रमानस के अनुसार मित्र से
जब भी मिलो सुग्रीव सम मिलोजो मित्रता के लिये सब कुछ छोड़ देता है
सेवा भाव हनुमान से त्याग लक्ष्मण पत्नी से
चरित्र पालन राम सम एक पत्नी धारी आज्ञापालक न्यायकर्ता
कथा मे नारी महिमा तो अंत है सीता मन्दोदरी शबरी उर्मिला मेंघनाथ की पत्नी को कौन भूल सकता है हिंदू साहित्य अमर है जो सर्व समाज को उत्तम चरित्र की शिक्षा देता है
8.जब कोई आप की प्रशन्सा करे तो खुश होना सौभाविक है
पर जब कोई आलोचना करे,गाली देतो परेशान न हो आप किसी के मन की गन्दगी साफ कर उसके मन को साफ कर रहे। है
9.चंडाल वो है जो केवल अपने भोग के विषय मे ही सोचता है
साधक वो है जो केवल बस केवल योग के विषय मे सोचता हैउपासक वो है जो केवल अपने मोक्ष के विषय मे ही सोचता है
हरि नाम का पागल कुछ नही सोचता...
उसका हरि सब कुछ सोचता है
हरिहर, कहै शंकर सुनो पार्वती दर मन मे विश्वास
कर्ता ही कर्म है सब लेखा हरि के पास
10.दो आँसू आज निकल आये
सोच सोच हरि का नामबदल रहा पापी मन को
है न ये प्रभु तुम्हारा काम