1. सम्भालकर रख आंसुओ को
हरिहर काम आयँगे
करुणा का वेग है आंसू
यह ही तुम्हे रब से मिलायेंगे
2.तेरे अल्फ़ाज तेरी औकात बयाः करते है
हैं वो शतिर जो कुछ कहने से ड़रते है
3.न हिन्दू की बात कर
न मुसलमान की बात करकर हैवानियत से तौबा
बस इंसानियत की बात कर
4.हरिहर आस न हो पूरी तो आँसु आते है
प्रेम बने तपस्या आँसु मोती बन जाते है
5.सुंदर ज़मी सुंदर ही आसमां होता है
पर सबका अपना अपना समाः होता है
6.हरिहर फाड़ दो उन पन्नों को
जो उसके नाम पर लड़ना सिखायेक्या करना उस पंथ धर्म का
जो मानवता को मिटाये
मेरा धर्म तो ये कहता है
रब सब के मन मे रहता है
7.हमारी सोच समाज का निर्माण करती है
हमारा समाज संस्कारो का निर्माण करता हैसंस्कारो से संस्कृति का निर्माण होता है
संस्कृति से धारणा जन्म लेती है
धारणा से धर्म का जन्म होता है
8.एक हाथ ले
एक हाथ देयह व्यापार होता है
दे बस दे
यह मानवता का
व्यापार होता है
यह सच्चा धर्म
का संस्कार होता है
9.पहले पहल हम दो थे
अंजान किसी मन के कोने मेआज हम एक है प्रभु
हरिहर मन के न होने मे
10.तू अपना पता दे
मैं अपना पता दूँगातू अपनी परेशनिया दे
मैं अपने हिस्सै की खुशियां दूंगा
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