Monday, 22 December 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:49


1.पेट की भूख भोजन से शांत होती है 
आत्मा की भूख भजन से शांत होती है

2.मन मे झाँक तो सही
हरिहर उसे ही पायेगा 
कण कण मे है वो ही
वो परमेश्वर कहा जायेगा

3.प्रेम पवित्र है तो ताकत है
प्रेम मे वासना हो तो बीमारी है

4.मित्र महान शब्द है ग़र मानो तो
मित्र संस्कृत के ज्ञान कोष से
प्रकटा है मित्र,मैत्ररि से बना है
म....मन
त्र....त्रिप्ती
रि...रिश्ता
मन को तृप्त करने वाला रिश्ता
जो माँ के बाद दूसरे नम्बर पर
आता है

5. मैं अच्छा हूँ कहने से क्या होता है
मज़ा तो तब हैं जब दुश्मन भी कहने लगे
वाह।....क्या इन्सान है

6. कौन सा खुश होता है रब...?
मासूमो की मोत पर
युही बदनाम करते है कुछ लोग
अपने मतलब के लिये..
हम इंसा है हिन्द के
मरे ग़र दुश्मन भी कोई
दो आसु बहा लेतै है
हम ग़ैरों को भी कन्धा दैतै है
ये सिखाया है हमे गीता ने
हम गैरो को भी अपना लेतै है

7.सच तो सच है
कहा पाप समाये
पाप तो पाप है
कौन पचाने पायै

8.तू ले आ अल्लहा 
मे ले आऊ राम
दोनों को मिला के देख
दोनों का एक ही परिणाम

9.अंनुभव करके देखो
खुद कहोगे ईशवर ग्रेट है
वो ही सब का भरता पेट है

10.दुर्लभ जीव कम हो रहे है
सच्चै लोग भी मिट रहे है
सच्चे लोग बचे तो 
सब बच सकता है
यदि आपके आस पास
सच्चे लोग हैं
तो सम्भलकर रखै
यह थोड़े कड़वे हो सकतै है
पर आपके लिये लाभकारी होंगे



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