Monday, 15 December 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:47


1.दृढ़ आत्मविश्वास के बिना 
इश्वर को पाना असम्भव है

2. विवेकहिंम् पशुभिः समानम:

3. प्रेम की परिभाषा अलग अलग हो सकती है
पर प्रेम की प्राप्ति बिना करुणा के नही हो सकती

4.  इच्छाओ का बढ़ना 
फिर पाने को तड़पना
न मिलने पर रब को कोसना
यही हारे मन की पहचान है

5.कोई कुछ दे,प्रेम से लो
अच्छा बुरा खुद छान लो

6. चिंतन अतित का विषय है
भुत भविष्य चिंता का विषय है

7. मैं कहा कुछ कहता हूँ
मै तो बस चुप रहता हूँ
कहने वाला तो कोई और है
जिस का चारो और शोर है
कहते जिसे चित चोर है

8. त्याग का जन्म सन्तोष से होता है
सन्तोष का जन्म विवेक से
विवेक का जन्म ध्यान से
ध्यान का जन्म साधना से 
साधना का जन्म कीर्तन से

9. ज्ञान मे बुद्धि और शुद्धि परम् आवश्क है

10.विवेक की मृत्यु ,देह का विनाश है

11. अधात्म गहराइ का विषय है ऊचाई का नही
भीतर और भीतर उतरना, और उतरतै जाना
चढ़ता तो नशा है फिर वो कैसा भी हो

12.जब नही थी किताबे
तब भी थी तेरी चर्चा
तब भी शब्द विवेक थे
आज भी अंहद विवेक है
शब्द भी अनेक है
फिर किताबो का क्या करना

13. वाद मे विवेकहिनता :-विवाद का जन्म
विवाद मे आक्रमक रूप :-अपवाद का जन्म
अपवाद मे हिंसा: विनाश का जन्म

14.

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