Sunday, 4 May 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-16


1.किसी अंजाम की फिक्र ना कर...
नियत को साफ रख,जो करना वो कर

2. भीड़ मुझे रास नही आती...
खोने का डर है..
भुुल ना जायें कहाँ मेरा घर है

3. तेरा सफर कभी खत्म न होगा...
ग़र ध्यान का फूलसटोप न होगा

4. तू माने ना माने मै तेरे साथ हूँ..
मैं तेरा साया नही तेरा विश्वास हूँ

5.चोरो की बरात का तू साथी..(काम क्रोध लोभ मोह अहंकार) तो कल्याण कैसे हो..
(शांति, प्रेम, क्षमा, मैत्री, सहानुभूति, सज्जनता, उदारता ) 
की बरात बना कल्याण कया चीज है मुफ्त मैं हरि को पा

6.लम्बी-लम्बी बातें न कर.. दे हथौडा मार,,
कितना पकायेगा अरे हरि कृपा से तू है तैयार

7. जिसके मन का विश्वास टूटता है 
वही हरिहर हरि के दर से छुटता है..
ऐ प्रीति ..कर नाम सार्थक हरि से प्रीत करे
हरि प्रीति वाला ही जगत में जितताहै

8. जीवन का आंनद कया यु ही जीनें में है....
पडे़ रहो ग़रत में..कया रो रोकर जीने में है..
थोडा जीयो पर अच्छा जीयो,कया लम्बा जीने में है
खोज़ करो पुरुषार्थ करो आंनद हरि रस पीने में है

9. नीचे आ हवा में कया रखा है..
जो भी रखा है यही रखा है

10. देगा वो सब को उसके देने में कमी नही..
कमी तुझमे है कि तु ने छुयी जमी़ नही है

11. बंद करता था जब आँखे.. तो तुम नज़र आते थे......प्रभु
अब आँखो को खोलता हुँ तो डर जाता हु देख दुनिया के रंग



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