Sunday, 21 September 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-32


1.हरिहर राम राग, सीता है संगीत,..
अंजनीपुत्र अनुभव है इनसे कुछ सीख

2.हरिहर मजा़ आ रहा है जिंदगी जीने का..
जब से लगाया है अ़तर तेरी चाहत का...

3. कौन कहता है प्रभु खोज़ने से मिलते है,...
हरिहर कूद अंहद के दरीया में मुसाफिर ,..
मिटा दे जो अपनी हस्ती अकस़ में,..
वो पागल नजारा रब का देखते है...

4.बंजर भूमि का दर्द तूम कया जानो,...
ये तो कोई रोती माँ ही बता सकती है,...

5.बिठा कर आसमा़ पर,..
प्रभु को,..
बैठ गया मिट्टी पर,..
कयूकि पता हम को,..
तेरी इक झलक को पाने तरीका,..

6.अंदर उतरो मित्रो अंदर आंनद ही आंनद है,..
बाहर दिखावा ही दिखावा, घमड ही घमड है

No comments:

Post a Comment