Tuesday, 23 September 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-33


1.माया का एक रूप अजगर जैसा
हरिहर न ज़िसको कोई भय
निग़ल गया कितने महा रथी ,
सिद्ध जों करते रहते मै मै


2. गए थे जो मेंऱा घर छोड़ कर
हरिहर पाने रब का रास्ता 
कुछ क़ो मोह पद का खा गया
कुछ कों चान्दी की कुर्सी खा गई


3. क़िस्मत का लिखा बदल सकता ग़र इन्सान
हरिहर तो रब को क़ुयु कर पूजता इन्सान

4. वो दुनियाँ को जीतने वाला,...
मन को जीतना ना पाया,.
.कहै हरिहर फिर.. कया
कुछ नही जीत पाया...


5. हरिहर एकड,भीगो में जमी़ बढाते है लोग...
फिर वही दो गज़ में दफ़न हो जाते है लोग...
दिन रात एक-एक कर पैसा कमाते लोग,..
तुम बिस्तर,पैसा का मजा़ दूसरे उडाते है लोग...
किसी ने भी बनवाया हो ताजमहल,..
कहाँ उसमे रह पाये है वो लोग...


6.बनना है तो लम्बी रेस का घोडा बन,..
हरिहर टटूओ पर सफऱ करता कौन,..
उतरना है तो गहरे समुंद्र में उतर ...
तलैया में उतरता कौन,..


7. हा कोंन रब क़ो प़ायेगा
जो अन्हद में आयेग़ा
क्या है अन्हद'
आ तो.....भीतर 
खुद जान जायेगा


8.मुझे लगा वक्त गुजरता है ।
पर वक्त तो वहीं है यारों 
गुजर तो आदमी जाता है यारों


9.हवाओं के रुख से न घबरा, 
बस अपनी जड़े गहरी बड़ा

10.औकात में रह हरिहर कुयू कर कद बडता है
कौन मुर्दा दो गज कफ़न से बाहर जाता है

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