Saturday, 29 November 2014

इतना सहज नही गंगा को लाना

इतना सहज नही गंगा को लाना
चमड़ी उत्तर जाती है 
हरिहर रगड़ खाते खाते
नही विश्वास तो जरा 
भगीरथ क़ी दशा देखो
पीढीया मिट गई
गंगा को लाते लाते
इतना सहज नही है
गंगा को मिटाना
यूँ क़ी बाकि है अभी
यमुना क़ी तरह
नाले का रूप बनना
कहते है सड़ता नही
गंगा का जल रखै
यु ही सदियो सदियो
फिर क्यू सड़ जाती है
मानसिकता यूँ हमारी
रो पड़ता भागिरथ भी
देखकर गंगा की दशा
क्या यू ही मिटना लेख है
नारी और नदी का सदा
सदियों से तारती सबको
वो अपने स्वरूप को तरसे

गंगा माँ है या नदी....?


भिन्न भिन्न लोग
विचार भी अनैक है
गंगा माँ है या नदी
यहाँ भावना ही विवेक है
कौन अमर है दुनियां मे

मिटना तो अभिषक है
रो पडा था सत्यवादी
बिक रही थी तारा.
कपडा तन पर जब एक था
वो कायरता नही..
उनका विवेक था...
पत्थर में निकले हरि,..
मित्र वो अनपढ किसान,...
जाट धना का विवेक था...
बने प्रभु सारथी,..
माँग नही,.
बस कृष्ण का विवेक था
समय के रंग अजीब है,..
आज कायरता के रंग,..
मानव भी अजीब है
चमडे की जुबान,..
हरिहर,अदमरे लोग,
हमको कया,कहते है
कर्महीन सोच,
कर्महीन विवेक है
मरी आत्मा,.
मरा समाज का विवेक है
न दया, भाव से खाली,..
बस मोटे मोटे उपदेश है,..
मित्रो ये कैसा आज का विवेक है
गंगा माँ हो या नदी,...
मेरा समान,मेरा विवेक
है..

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:44


1.चोरी का धन मोरी में जाता है,..?
मित्र धन यही रह जाता है
मानव (हांडी) मोरी मे जाता है

2.कुछ अनसुने 
अनसुलझे रहस्य है
इस संसार के,
संसार मे
कुछ भीतर के,
कुछ बाहर के
कौन आरम्भ है
कहा अन्त,अनन्त
कुयू कर भेद,..
तन का मन का,..
और जतन का
सुई पर हाथी,.
प्रजनन बिन साथी
जनम मरन,..
बचचे कुयू माँ ,..
वो होकर खाती
हम नवाब कया,..
जो है अकेले,.
या दूर भी है ..
तुम से मेले..
कौन आता,.
.फिर वो ..
कहा है जाता.
कौन बिन तार,..
गोल घुमाता,...
3. कुयू सिमट रह जाते है 
लोग तंग आशियानें मे
क्या मज़ा आता है...?
यू दब के मर जाने में....
तन मरा मन मरा...
मुरझाये मुरझाये से लोग..
गैरें की कहा चिंता..
अपनी ही गैरत कीलाश..
उठाये जाते है लोग...

4. कहा हम दर्द से डरते थे
तुम्हें मिलने से पहलै
हज़ार बार सोचैगै 
हरिहर मरने से पहले

5.अच्छे दिन जरूर आयेगे
जब हम मानवता निभायेगे
ये कोई राजनीति का खैल नही
हरिहर ये प्रेम आनन्द मार्ग है
कपटी रंग का कोई मेल नही

6. तन क़ी भठी पर 
मन की अग्नि से
जो ओज़ पकती है
उसका सार सुख है
सड़न भार दुःख है
सुख से दुआ निकलती है
दुःख से बददुआ निकलती है

7.हार दुःख की वजह हो सकती है
पर दुःख को हार की वजह मत होने दो

8.हमने जीवन मे कुछ नही पाया
यही जीवन क़ी सबसे बड़ी हार है
और जीवन का सबसे बड़ा झूठ है

9.सरल जीवन ही साधना है
साधना मे विश्वास जागर्ति है
अन्हद मे जाग्रति महायोग है
महायोग ही महा आनन्द है

10.सून ऐ हरिहर मुढमते,..
कर हर जीव कौ सम्मान,........
कण कण हरि आप बसै,..
हर शैह़ में भगवान....

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:43


1. सब्र तो कब्र मे भी नही
इस जहाँ मे कहा
प्यास रूह की
बुझती पानी से कहा

2. कुछ तो कह
न यूँ चुप रह
कुछ कुछ होता है
जानता हूँ तेरी
एक चुपी मे
राज हजार है
मिटने को कोई
जहाँ तैयार है

3.हरिहर चल भीतर चले
जहाँ प्रकर्ति से हाथ मिले
न कोई शोर,न पाखण्ड चले
हर कण मे नया नया गुण मिले
न अपवाद न कोई तुमसे जलै
हरिहर चल भीतर चले

4.हरिहर समय तो लगेगा ,.
मन के गड्ढों को भरने में 
पर भर सकता नही कोई,..
हवस,.. रखा है
जो कटोरा उल्टा
जिसे खोपडा इंसा का कहते है

5. तुमसे तो मकडी के जाले अच्छे.....
जो टिक तो जाते है..
तेज़ हवा के झोकों मे पंछी भी उड़ जाते है
वक्त का कया है भरोसा,..
है लोग मतलबी ,...
किसा साथ निभाते,..

6. पढै लाख जतन
वैद पुराण
है बेकार
ग़र नहीँ हो
अन्हद का ज्ञान
अन्हद माही
सब भगवान
बाहर दूर
अन्हद आसान

7.मैं नही जानता तुम कैसे हों
मै नही जानना चाहता 
प्रभु तुम कैसे हो
चाहता हूँ तुमको बच्चों सा
मन कहता है हो तुम
छोटे बच्चों जैसे हो

8.परम् तत्व मानव मे है वैसे ही जैसे
दही मे मक्खन है मक्खन मे घी है
पर उन्हे पाने की क्रिया है

9. अहसान है माँ का, जन्म माँ की कोख से मिलता है 
धन्य धन्य हो गुरुवर,.परम तत्व योग से मिलता है

10 शाम होते होते करार आ जायेगा,....
झुका तो नज़रे दिदार आ जायेगा,....
हमको कहा चिंता,..
समभालने वो आ जायेगा

Friday, 14 November 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:42


1. ग़र छोटे हो भाव से
तो सहज उड़ पाओगे
ग़र गिरोगे धरा पर
तो भी न मिटने पाओगे
भारी कहा हवा का साथी
धरर्ती पर भी बोझ हैं


2..एक बार ऊचाई पर पहुचकर देखो
हरिहर अपने तो कया हैं
गैर भी रिश्ते दार बन जायेगे
बुरे समय मे अपने ओंर सपने
दोनों ह़ी न पहचान पायेगे

3.  माना मौत जीवन का आधार हैं
पर इस खोफ में जीना भी बेकार हैं
जीवन ह़ी तो हैं रब वाला द्वार
हरिहर ये जीवन ह़ी तो हैं 
जों करवाता हैं रब से प्यार

4. मरना हैं ये उसी दिन समझ गया था
हरिहर जिस दिन पैदा हुआ था,..
इसी लिये पैदा होकर रों पडा था
फिर से वही आवा गमन का चक्र पे चक्र

5. रात सोने को,दिन जागने क़ो
संत सब उल्लुओ के भी बाप
दिन रात जपते बस हरी का नाम

6..अक्सर कित़ाबो मे पढा हैं
पर देखा नही
साजिश हैं कोई
या सूरत दिखाने से डरते हो
कही तुम वो तो नही
जिसे रब कहते हैं


7.कोन कहता हैं दर्द क़ी आव़ाज नही होती
अक्सर इससे मिलतेे हमने रब क़ो देखा हैं

8.. अमरत्व जीवन भी रस हीन हैं
हरिहर बिनु हरि के नाम
करोड़ो स्वर्ग नोछावर हैं
मैरै हरि के  नाम

9. 

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-41


1. हमने जीवन मे कुछ नही पाया
यही जीवन क़ी सबसे बड़ी हार है
और जीवन का सबसे बड़ा झूठ है

2.हार दुःख की वजह हो सकती है
पर दुःख को हार की वजह मत होने दो

3. सरल जीवन ही साधना है
साधना मे विश्वास जागर्ति है
अन्हद मे जाग्रति महायोग है
महायोग ही महा आनन्द है

4. सून ऐ हरिहर मुढमते,..
कर हर जीव कौ सम्मान,........
कण कण हरि आप बसै,..
हर शैह़ में भगवान....

5. दोनों हाथ उठाकर
जब दो आँसू बहायेगा
वो अनमोल रत्न रब
कोड़ीयो मे बिक जायेगा

6. उदय सूरज है ज्ञान का
हरीहर मत हो उदास
कपाट खोल अंहद के
है चाहू और प्रकाश

7.सत्य का माल बिकना चाहिये
जो हो तुम वो दिखना चाहिये
वहाँ रंगा सियार किस कम का
अंहद का रंगा दिखना चाहिये
नाम है। उस रब का हरि मित्रो
पर उसके रंग तो हजार है
थोडा रंग हरि का चढ़ता दिखना चाहिये


8. नियत ठीक रख 
जरूर वो देगा 
तेरी वो सारी
परेशानियों को
दाता हर लेगा

9. हरिहर गोली का घायल बच सकता है
बोली का घायल कभी नही बच सकता है





Monday, 3 November 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-39


1.करता रह कोशिश,
जवाब आयेगा,...
तेरी नेकीय़ो से...
ऱूह में सबाब आयेगा,....
इसीलिये रब कहते है उसे. 
तेरी गुस्ताखीयो को वो भूल जायेगा

2.हरिहर,तेरे शब्द तेरी औकात बताते है 
इसलिये अकसर लोग लिखने से कतराते है

3.मेरी गरीबी कहा उन्हे रास आती हैं
हरिहर, देखकर मुझको बदहाल
अमीरों की इंसानित भी भाग जाती हैं

4.कहा सहज़ है अड़िग रहना,..
असुलो पे...
मार देते अपने ही पल में,..
तानो के बाणों से

5.हम भी कहा शंहशाह से कम थे
फ़कत फ़कीर होने से पहले...

6.काले धन वालो से देश क़ो खतरा हैं
काले मन वालो से मानवता को खतरा हैं

7.रोने से समस्या का हल नही होता
रोने वालो का कोई आज,
कोई कल नही होता

8.ऐसी प्यास बड़ा तू बन्दे
जो जग से बुझने न पायै
सूरज सी तपस बड़ा बन्दे
तेरा तेज किसी घटने न पाये
ऐसी अग्न जला तू बन्दे
तेरा ताप न घटने पायै
भर उड़ान ऊची से ऊची
किसी भवर मे फसने न पाये
बन कुंदन सा खरा,तू उत्तम
तेरा मोल न गिरने न पाये
जग का कोई भी शहंशाह
तुझको न अपनी ऐठ दिखाये
हरिहर ला अन्हद प्रेम समंद्र
गोता तेरे भीतर हरि लगाये

9.हर कोई अपने दर्द का ऱाजदार होता हैं
जब कोई न हो सहारा दर्द ही यार होता हैं

10.हरिहर, तब तेरे सब्र का भी इम्तिहाँन होगा
जब मारने वाला तेरा अपना कोई इंसान होगा

11.हरिहर हरी नाम हरे,हर पीर
इक बार बोल के देखो
मिटते रोंग गम्भीर