Monday, 3 November 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-39


1.करता रह कोशिश,
जवाब आयेगा,...
तेरी नेकीय़ो से...
ऱूह में सबाब आयेगा,....
इसीलिये रब कहते है उसे. 
तेरी गुस्ताखीयो को वो भूल जायेगा

2.हरिहर,तेरे शब्द तेरी औकात बताते है 
इसलिये अकसर लोग लिखने से कतराते है

3.मेरी गरीबी कहा उन्हे रास आती हैं
हरिहर, देखकर मुझको बदहाल
अमीरों की इंसानित भी भाग जाती हैं

4.कहा सहज़ है अड़िग रहना,..
असुलो पे...
मार देते अपने ही पल में,..
तानो के बाणों से

5.हम भी कहा शंहशाह से कम थे
फ़कत फ़कीर होने से पहले...

6.काले धन वालो से देश क़ो खतरा हैं
काले मन वालो से मानवता को खतरा हैं

7.रोने से समस्या का हल नही होता
रोने वालो का कोई आज,
कोई कल नही होता

8.ऐसी प्यास बड़ा तू बन्दे
जो जग से बुझने न पायै
सूरज सी तपस बड़ा बन्दे
तेरा तेज किसी घटने न पाये
ऐसी अग्न जला तू बन्दे
तेरा ताप न घटने पायै
भर उड़ान ऊची से ऊची
किसी भवर मे फसने न पाये
बन कुंदन सा खरा,तू उत्तम
तेरा मोल न गिरने न पाये
जग का कोई भी शहंशाह
तुझको न अपनी ऐठ दिखाये
हरिहर ला अन्हद प्रेम समंद्र
गोता तेरे भीतर हरि लगाये

9.हर कोई अपने दर्द का ऱाजदार होता हैं
जब कोई न हो सहारा दर्द ही यार होता हैं

10.हरिहर, तब तेरे सब्र का भी इम्तिहाँन होगा
जब मारने वाला तेरा अपना कोई इंसान होगा

11.हरिहर हरी नाम हरे,हर पीर
इक बार बोल के देखो
मिटते रोंग गम्भीर

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