Friday, 14 November 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-41


1. हमने जीवन मे कुछ नही पाया
यही जीवन क़ी सबसे बड़ी हार है
और जीवन का सबसे बड़ा झूठ है

2.हार दुःख की वजह हो सकती है
पर दुःख को हार की वजह मत होने दो

3. सरल जीवन ही साधना है
साधना मे विश्वास जागर्ति है
अन्हद मे जाग्रति महायोग है
महायोग ही महा आनन्द है

4. सून ऐ हरिहर मुढमते,..
कर हर जीव कौ सम्मान,........
कण कण हरि आप बसै,..
हर शैह़ में भगवान....

5. दोनों हाथ उठाकर
जब दो आँसू बहायेगा
वो अनमोल रत्न रब
कोड़ीयो मे बिक जायेगा

6. उदय सूरज है ज्ञान का
हरीहर मत हो उदास
कपाट खोल अंहद के
है चाहू और प्रकाश

7.सत्य का माल बिकना चाहिये
जो हो तुम वो दिखना चाहिये
वहाँ रंगा सियार किस कम का
अंहद का रंगा दिखना चाहिये
नाम है। उस रब का हरि मित्रो
पर उसके रंग तो हजार है
थोडा रंग हरि का चढ़ता दिखना चाहिये


8. नियत ठीक रख 
जरूर वो देगा 
तेरी वो सारी
परेशानियों को
दाता हर लेगा

9. हरिहर गोली का घायल बच सकता है
बोली का घायल कभी नही बच सकता है





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