1. ग़र छोटे हो भाव से
तो सहज उड़ पाओगेग़र गिरोगे धरा पर
तो भी न मिटने पाओगे
भारी कहा हवा का साथी
धरर्ती पर भी बोझ हैं
2..एक बार ऊचाई पर पहुचकर देखो
हरिहर अपने तो कया हैंगैर भी रिश्ते दार बन जायेगे
बुरे समय मे अपने ओंर सपने
दोनों ह़ी न पहचान पायेगे
3. माना मौत जीवन का आधार हैं
पर इस खोफ में जीना भी बेकार हैंजीवन ह़ी तो हैं रब वाला द्वार
हरिहर ये जीवन ह़ी तो हैं
जों करवाता हैं रब से प्यार
4. मरना हैं ये उसी दिन समझ गया था
हरिहर जिस दिन पैदा हुआ था,..इसी लिये पैदा होकर रों पडा था
फिर से वही आवा गमन का चक्र पे चक्र
5. रात सोने को,दिन जागने क़ो
संत सब उल्लुओ के भी बापदिन रात जपते बस हरी का नाम
6..अक्सर कित़ाबो मे पढा हैं
पर देखा नहीसाजिश हैं कोई
या सूरत दिखाने से डरते हो
कही तुम वो तो नही
जिसे रब कहते हैं
7.कोन कहता हैं दर्द क़ी आव़ाज नही होती
अक्सर इससे मिलतेे हमने रब क़ो देखा हैं
8.. अमरत्व जीवन भी रस हीन हैं
हरिहर बिनु हरि के नामकरोड़ो स्वर्ग नोछावर हैं
मैरै हरि के नाम
9.
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