1. सब्र तो कब्र मे भी नही
इस जहाँ मे कहा
प्यास रूह की
बुझती पानी से कहा
2. कुछ तो कह
न यूँ चुप रहकुछ कुछ होता है
जानता हूँ तेरी
एक चुपी मे
राज हजार है
मिटने को कोई
जहाँ तैयार है
3.हरिहर चल भीतर चले
जहाँ प्रकर्ति से हाथ मिलेन कोई शोर,न पाखण्ड चले
हर कण मे नया नया गुण मिले
न अपवाद न कोई तुमसे जलै
हरिहर चल भीतर चले
4.हरिहर समय तो लगेगा ,.
मन के गड्ढों को भरने में पर भर सकता नही कोई,..
हवस,.. रखा है
जो कटोरा उल्टा
जिसे खोपडा इंसा का कहते है
5. तुमसे तो मकडी के जाले अच्छे.....
जो टिक तो जाते है..तेज़ हवा के झोकों मे पंछी भी उड़ जाते है
वक्त का कया है भरोसा,..
है लोग मतलबी ,...
किसा साथ निभाते,..
6. पढै लाख जतन
वैद पुराणहै बेकार
ग़र नहीँ हो
अन्हद का ज्ञान
अन्हद माही
सब भगवान
बाहर दूर
अन्हद आसान
7.मैं नही जानता तुम कैसे हों
मै नही जानना चाहता प्रभु तुम कैसे हो
चाहता हूँ तुमको बच्चों सा
मन कहता है हो तुम
छोटे बच्चों जैसे हो
8.परम् तत्व मानव मे है वैसे ही जैसे
दही मे मक्खन है मक्खन मे घी हैपर उन्हे पाने की क्रिया है
9. अहसान है माँ का, जन्म माँ की कोख से मिलता है
धन्य धन्य हो गुरुवर,.परम तत्व योग से मिलता है
10 शाम होते होते करार आ जायेगा,....
झुका तो नज़रे दिदार आ जायेगा,....हमको कहा चिंता,..
समभालने वो आ जायेगा
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