Thursday, 10 December 2015

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:- 61


.1. कुते को घी हज़म नही होता.......
हरिहर बईमान और भ्र्ष्ट को इज्जत.....

2. डूबते सूरज को कौन जल चढ़ाये
हरिहर हारे यौद्धा के धर कौन जाये
. सुसराल मे बार बार जाओ तो इज्जत जाती हैं
हरिहर मन्दिर रोज सर झुकाने से सम्पन्नता आती है
4 चोर चोरी से जाये पर हेराफेरी से न जाये
हरिहर मन के चोर के घर न कभी बरक़त आये
5. हरिहर जो मरे वो ही स्वर्ग जाये
सती नारी घर मे ही स्वर्ग

6. पल पल बदल जाते हैं चेहरे के रंग
हम इंसान है के गिरगिट मित्रों
बदनाम गली का कुत्ता हो गया
जब की तलवे चाटने लगे लोग
देते है सियारो को लोग गालियां
पर अपनों की भी बोटियाँ नोचते हैं लोग
अच्छे हैं हम से जंगल के जानवर
हमने जंगल समाज को बना दिया

7. हरिहर रब करे की दोस्त तेरा भी बुरा वक्त आये
तुझे भी अपने और पराये का भेद पता चल जाये

8. हरिहर ये तलाश जारी हैं या 
इंसान का लाश बनना जारी है
तलाश करना ही बड़ी बीमारी हैं
समर्पित हैं जो इस मित्रो जग मे
वहीँ सच्चा ईश्वर का अधीकारी हैं

9. बड़े अच्छे थे सब कहेंगे
तुम्हारे जाने के बाद कहें
बईमान पहले ही कहते...
यू मिट्टी न रुसवा होती...

10. 

Thursday, 17 September 2015

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:- 60


1.मन्दिर -मन के अंदिर
मन के अंदिर जो है वही परमसत्ता है
मन-यानि मनन 
मनन यानि ममता, नर्मता, बीच नयन

2.तो सोचो.....
क्या भेड़ चाल करने वालो को भेड़ मिलती....?
क्या दूसरे के लाल गाल देखकर आप भी
अपने गाल लाल करतै है...?
क्या परमात्मा खोजने वालो को मिलता है....?
ग़र ऐसा है तो सुबह सुबह कूड़ा चुगने वालो को
सबसे पहले मिलेगा..)
क्युकि वो तो सारा दिन की ख़ोजतै है..?
खोजने की आवश्यकता उसे जो खोया हो...
क्या तुम्हारा परमात्मा खो गया है......?
वो भीतर भी है वो बाहर भी...
एक वही तो है जो है....
बाकि क्या है शनभंगुर......
स्वामी हरिहर :-

3.हरिहर क्या बात है वाह वाह रे इंसान 
गरीब के मिट्टी के,अमीर के सोने के भगवान

4.कद बड़ा तू भी अपना कद बड़ा
सोच,औरो की जय घोष से पहले
न तलवे चाटुता मै अपना नाम लिखा
कद बड़ा, बस तू अपना कद बड़ा..
सच है सम्मान के बदले सम्मान दे 
पर न किसी की बातो के जूते खा
हरिहर सच क्या नही बन्दे तुझमे
गर्व से तू भी अपना सर उठा


गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:- 59


1. कौन हारा कौन जीता
क्या है किस्मत कनैक्शन
जाने दो मित्रो क्यु लेनी टेंशन
कुछ तो राज़ को राज़ रहने दो
नदियां है इक जीवन भर
उसको मस्ती मे बहने दो
सब रब की महिमा है मित्रो
कुछ तो काम उसके
हाथ मे रहने दो

2. क्या अच्छी क्या बुरी
मित्रो बाते ही तो है...
बातो को बस 
बाते ही रहने दो..
न ताने होने दो..
हो भी तो ग़र तान
तो तान सुर की
रब से हो जाने दो
छोड़ो बातो को...
बातो का संसार
नही होता....
केवल करते है जो
बाते ही बाते...
उनका सार नही
उनका प्यार नही होता
बातो का रब से
कोई तार नही होता
बाते तो बाते है
बातो का कौई मित्र
या अधिकार नही होता
3. मार गोली जाने दे
कोई क्या ले गया
मुफ़्त सबक दे गया

4. नई नई अमीरिया है हमारे यारो की
कहा पुरानी दोस्तियां रास आती है

5. खुद की उलझनों मे उलझे खोये है सब
जाने कैसे रब को पाने का दावा करते है

6. वो दर्द देता है तो वो दर्द हर लेता है
इसीलिये तो वो रब है

7.जब होगी अत-तब होगी बुरी गत्
यह प्रकृति नियम है जो सब पर लागु होता है

Friday, 11 September 2015

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:- 58


1. शुद्ध शरीर कर, समाज को अर्पण करे
शुद्ध कर ,आत्मा परमात्मा को अर्पण करे
यही तुम्हारा सात्विक कर्म है 
यही तुम्हारा जन्म लेने का उदेश्य...

2. भारी ज्ञान अपच भोजन की तरह हैं
भोजन पेट,भारी ज्ञान बुद्धि खराब करता है
भोजन व् बात वो हो जो पच जाये

3. जब सब कहै की आप अच्छे है तो जानो
अभी जंग साफ नही हुआ अभी काम बाकि है
जब कोई बार-बार मिलने को चाहे रह न पाये
समझो अब फल पक गया बस समर्पण बाकि है

4.न भगवान दूर है न पास है
बस भर्मित तुम्हारा विश्वास है

5.सब से असान क्या हैं...?
दूसरो मे कमियां निकलना
सब से कठिन क्या है....?
अपनी कमियाँ सुधरना

6. अपमान ज़हर से भी घातक है
जो पच गया वो पुरषार्थी नायक है
जो न पचा सका वो कायर खलनायक...

7. मौसम की तरह रिश्ते भी 
मित्रो रिशने लगते है
कुछ पैसे की गर्मी दिखते है
कुछ बिजली सी पावर दिखते है
है जो गरीब वो मित्रो
सर्दी से सुकड़ जाते है
8.  इन्सान को ही पूजने का मन हैं तो स्वयं को ही पूजो
ग़र कोई भी अवतार हो सकता है तो तुम क्या दुनिया मे झक मराने आये हो क्या तुम्हारे भीतर परमात्मा नही है
तुम स्वयं परमात्मा हो
जो खोजना है भीतर खोजो
भीतर का जब बाहर आयेगा सब साकर नजऱ आयेगा
9. कौन बाहर,कौन भीतर
कौन ख़ोजे,किसको ख़ोजे
नाव नदियां,नदियां नाव
कहा जाता सारा बहाव
सारा चक्कर है घनचक्कर
सीधा उल्टा,उल्टा सीधा
गोल गोल सब है बोलः
समझ गया तो सब तेरा
न समझा तो लगै फेरा

10. राहे कहा आसन होती है.....,
फिर भीतर की हो या बाहर की
चमक तो लानी ही होगी मित्रों
इस लिये रग़ड़ तो खानी ही होगी...

11. ध्यान का दीपक ही भीतरी अंधकार को मिटा सकता है

Monday, 7 September 2015

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:- 57


1. साधना ही मनुष्य को साधु वाद करती है...
     नो मोर् गप,ओन्ली फॉर तप

2. सच,.आँसुओ के आये बिन ...
ऐ निष्ठुर तुम भी आते नही.....
कन्हैया रख हाथ दिल पर..
बता हंसते हम क्या भाते नही...
चल भाग जा, होगा तू रब
हम रोते फकीर तुझे बुलाते नही
देख मुँह फेरता हम को
काहै कन्हैया मुस्करातै हो...
है ग़र हम इतने बुरे
काहै झांकने आते हो...


3. मै जानू न तू कपटी
पर छलिया तो कहने दे...
न बसा दिल मे अपने
चल चरणों मे ही रहने दे....
न लगा मलहम हाथ से.....
इन आँसुओ को बहने दे....
हो तुम अपने सगै साथी
सगै का दिया दर्द सहने दे....


4.डरता हूँ आखो को बन्द करता हुआ
कही प्रभु ओज़ल न हो जाओ तुम
हरिहर आँखों से ख्वाबो की तरह


5. कुछ तो पागलपन होना चाहिये हरिहर
के बुद्धि के तर्ककर्ताओ वो मिलता नही

6. ग़र मित्र हो जीवन मे तो सच्चे हो ...
वरना कब्र खोदने वाले तो किराये पर भी मिल जाते है

7. अच्छी माँ सबको मुफ़्त मे मिलती हैं
पर अच्छा मित्र,और अच्छी जीवन साथी 
अच्छे कर्मो से मिलते है

8. सोचिये,.....
ग़र सत्ता का नशा इतना आनन्द दे सकता है तो
उस महासत्ता दारी के संग का आनन्द तो परमानन्द ही होगा......
सत्ता नशे की सीमा और समय निर्धारित हैं
परमानन्द की न सीमा है न समय की कमी


9. हमारे भीतर एक सिनेमा है
हमारे भीतर भी चल चित्र दिखाई देते है
सिनेमा की तरह हमारे भीतर भी अंधकार है
सब कुछ भीतर है बस कमी है तो प्रयास की


10.सत्य है की चमत्कार होते हैं
किन्तु तभी जब भीतरी तपस 
देह को तपाये.....
तुम को जलना होगा और जलाना होगा
बस भीतरी अगन को....


11.कोई हमे मुर्ख कब बनाता है...?
जब हमारी बुद्धि भरमाती है...
विवेक हताश हो जाता है...
और मन चमत्कार की आशा रखै

Monday, 2 February 2015

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-55


1.अंत का सफर ही अनन्त का सफर है
यूँ भी तो जीवन सफर है

2.आत्मविश्वास होना अच्छा है
पर जाँच ले कही वे धमण्ड तो नही

3.राजनीति कहती है सबका विकास हो
राजनीति करती है सबका विनाश हो

4.भरे जा रहे है हम पन्नों को
काश जीवन मे अपनाये
हरिहर क्यू न हर इंसा 
जीता जगता वैद पुराण हो जाये

5.कोसता है इंसा हर वक्त 
कुदरत के इंसाफ को
भूल जाता है क्यू वो
अपने कुकर्मो के हिसाब को

6.जीना जीवन का दस्तूर है
मत देख बीती गलतियों को
सब हाथ हरि,तू बैकसूर है

7.गहरी सोच,दिल की चोट
कभी न भूलनी चाहिये

8. क्यू राम राम कहते अंत सफर मे
याद रहे अंत नही वे अनन्त का सफर
राम राम आराम है आरम्भ है

9.खोज तो बस इतनी सी है
मै कौन हूं ...?
जान सका है कोई..?
जाने कितने फ़ना हो गये
ये ख़ोजते फ़लसफ़ा
चक्कर से घनचक्कर हो गये
ख़ोजते मै कौन हूँ
हरिहर मै बस मौन हूँ

10.सब कुछ तीन मे सिमट जाता है
1,2,3
फिर भी हम कितने महान है 
हमे 99 का फेर ही पसन्द आता है

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-54


1.कोई कहै वैद पढ़ो कोई कह पढ़ो पुराण
हरिहर वो मन धरो जासै क्यु अनजान

2.आग लगानी है तो मन को लगा
पके हुये मन मे मिलता है खुदा

3.आस्था तो जन्म ले सकती है
केवल उसमे जिसमे करुणा हो

4.भलै दुनिया मे सब कुछ अजीब है
पर तू साया बनकर मेरे करीब है

5.सुख की कामना
दूख का कारण
हरि नाम निवारण

6.पुराण प्रेम का दर्पण है
वैद विज्ञानं का विषय

7.वो तन ध्यान करते है
मै मन का ध्यान करता हूँ
तन का व्यापार करने वाला 
तन को देखता है
मै मन व्यवहार करने वाला
मै मन को देखता हूँ

8.जो हरी स्मरण करते और कराते है
वही नैक कमाई कर रहे है वही सही मांयनै मे वही धनिक है

9.पैसा गया तो मान गया..?
कैसा झूठा ये सम्मान 
झूठे लोगो कि झुठी बाते
झूठ इन लोगो का भगवान

10.फकिर की झोपडी 
न खाने को माल
जलता दीपक दान का
न मदारी का जाल
केवल हरि खोज है
न चैलो को फौज
रैन बरसे छपर टपके
तपस मे बहै पसीना
ये है अपना जीना
माँगत मन मारा
पढ़त मारा तन
अंहद के मार्ग मे
बस बीते ये जीवन
आना है तो आ
हम बठै नैन बिछाये
आना है तो आजा
हम न पीछै आये

Thursday, 29 January 2015

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-53


1.आँधियो मे हमने बडे बड़े अकड़े पेड़ो को झुकते देखा है उखड़े देखा है
यारो कुछ काम तो रब पर छोड़ो

2.बाहर के चोरो को काबू करना सहज है
समस्या तो भीतरी चोरो को काबू करने की है:-अंहद योग

3.किन्तु-परन्तु,
अगर-मग़र, 
सोचूँगा,
होगा...?,
करने वाला कुछ बड़ा नही कर सकता 
घर जाये रजाई ले सो जाये

4.जब कुछ भी न समझ आये
तो आँखै बन्द कर बस
हरी का नाम गाये

5.परेशानियो का काम तो सताना है
इन्सां का काम उन्हे। सुलझाना है

6.स्वतन्त्रता का मतलब अपनी बात रखना,आलोचना करने का अधिकार से है पर स्वतन्त्रता की का उपहास् का अधिकार नही देती

7.जहाँ सत्य है वहाँ असत्य अधिक रूप मे होगा असत्य गुंडा है पर सोच से कमजोर..? कभी अकेला नही होगा साथ ही उसके प्रपंच,भी होगा बचना और फसना तुम्हारै हाथ मे है

8.पहले पढ़ो,फिर खोजो,फिर लिखो

9.सम्भाव को सम्भावना अधिक होती है

10.कायरो के लिये कोई भगवान नही होता
यूँ भी कायरो का कोई ईमान नही होता

11.जलन तन की हो या मन दोनों ही
न सोने देती है न जीवन मे कुछ होने देती है

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-52


1. हम चले तो दो कदम रब की और...?
वो हजार कदम बडेंगे हम सब की और

2.भई एक जगह ठहर...
तो कोई बात बने
बिखरे मन का इंसान,
इंसान होता कहा है

3.वो मर गया क्या तुमको ज्ञात है
जिसे सब इंसान कहते थै
उसको तो मरना ही था
पहले विश्वास कर मरा
फिर अविश्वास ले डूबा
बच जाता ग़र कोशिश करता
पर उसका अहंकार
उसे ले डूबा

4.हरिहर विश्वास हो अच्छा है
पर विश्वास मे विष का वास न हो
अन्यथा फिर से भटकन और घुटन शुरू हो जायेगी

5.भगवान तो है सच,पर विश्वास नही है...?

6.भोजन शरीर के लिये
भजन आत्मा के लिये
दोनों रोज़ जरूरी है

7.कौन कहता है आत्मा नही मरती
जिनकी इंसानियत मर जाती है
उनकी आत्मा मरी है

8.प्रेम की परीक्षा जगत की माँग है
ईश्वर के ह्रदय मे प्रेम ही प्रेम है

9.हम तुम्हे कितना प्रेम करते है
हरिहर मुझसे न पूछो,
ग़र जानना है तो
हमारे आँसुओं को जानो
रूकते नही आखों मे
तेरा नाम लब पर आते आते

10.हम अच्छे और सच्चै है 
तो सब अच्छे और सच्चे है
सब हरि का है उन्ही पर छोड़ दो

11.सत्य है जीवन जीना सहज नही है
यहाँ पर हम रोज़ रोज़ मरते है
पर जिसके कारण मरते है
वह मन 
फिर भी काबू मे नही आता