Thursday, 22 May 2014

कौन कहा है हम आज़ाद... ....?

कौन कहा है हम आज़ाद... ....?
गौर से देखो यारो हम बरबाद है..
67 सालो से साले काले अग्रेज,...
देश को लूट कर है...
पहले एक ,दो 
अब हजारो मिल मिल कर लूट रहे है
कौन कहा है हम आज़ाद... ....?
गौर से देखो यारो हम बरबाद है..
नंगा और नंगा हो रहा है.....
जहाँ देखो वहाँ दंगा हो रहा है....
मरता कुयू गरीब है......
कया यु ही मरना नसीब है
कानून तोडने को कानून बनाते है...
अमीर हर जगह मजे में है...
जेल सडने कुयू गरीब ही जाते है
भारती माँ का रोज़ अपमान हो रहा है
देश का हर वासी,अपने गम़ में सो रहाहै

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-22



1. लम्बी नही छोटी बात हम कहते है,....
इसलिए हरिहर सब के दिल में रहते है

2.मार गोली हरिहर कया रोता है...
बिना हरि के कया कुछ होता है..?

3. तुझे समझ सकें ये जमा़ने मे दम कहाँ,
दम निकल जाएगा तुझे समझते समझते

4. मेरी इच्छाएे अनेक है,...
पर तेरे पास कमी कया..
मेरी नियत है के भरती नही 
तुम हो के दर दरवाजे़ बंद करते नही

5.दहशत का महौल अब मिटना चाहिए..
सूरज शांति उन्नति का उगना चाहिए
गरीब भी सर उठा सके,
एेसा महौल दिखना चाहिए
न मर जाये आँख का पानी,... 
हरिहर हर शैतान डरना चाहिए

6. विजय का घमंड नही ,
अब देश का विकास होना चाहिए
रोज़गार मिले युवाओ को,
पिछडो को ऊपर उठाइये

खतम हो खेल टोपी का,....
टोपी नही तिलक भी लगाइये

7. तुझे समझ सकें ये जमा़ने मे दम कहाँ,
दम निकल जाएगा तुझे समझते समझते


गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-21


1. हम नही परेशा़, कहने को खयाल अच्छा है..
वरना तुम कया परेशा़नियो से बचा ...
हरिहर ...खुद खुदा भी नही

तू भी परेशान,हम भी परेशान,..
बा अदब तेरा सबब अलग है..
.हमारा सबब अलग है....
तू खुद के लिए परेशानहै...
हम मिलें,खुदा इसलिए परेशान है.....

3. कौन आया मेरे दर तेरा अहसास लिए....
जी चाहता है रूह भी उस पर वार दूँ.....

4. अहसास है हम को तेरी परेशानियो का...
तेरी परेशानियो के सबब अपनी...
रूह का दिपक जलाते है हम....

5. सच्ची मित्रता का आधार है राम ..
केवट,विभिषण,शबरी का सच्चा प्रेम है राम

6. प्रेम की परिभाषा क्या है हरिहर जरा बताओ तो..
प्रेम परिभाषाओ से मुक्त है ग़र तुम समझ पाओ तो

7. हरिहर हरि तुम हरो जन की भीर,
कलजुग माही रोग अति गमभीर..
रोग अति गमभीर जन जन को सतावें..
तन बना तनाव,मन कहा मुक्तिबोध पावैं

8. प्रेम सिखाती है हिंदी,
सबको अपनाती है हिंदी..
विश्व भाषा की जन्म दाता..है हिंदी,
हर भेद मिटाती है हिंदी

9.अगर हिन्दी का प्रयोग करने वाले गवार होते है तो हम गवार ही सही........

10. परिंदे भी रूठ जाते हैं...
पर लौट कर घर ही आते है..

Thursday, 15 May 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-20



1.जागते है रात भर,..हरिहर..उल्लूओ की तरह...
दिन में इतिहास बदलने की बात करते है हम

2. मदद तेरी रब करेगा,...
नेक इरादा जब करेगा

3. हरिहर..तीर तरकस में रखने का,कया सबब होगा..
असर होगा असर होगा,तू बस कमान को कसकर रख..

4. हरिहर कैसे कैसे रंग बदलते है लोग....
और भला बुरा गरीब गिरगिट को कहते है

5. तू थाली का बैंगन,या लटू इस संसार का...
हरिहर प्रेम है प्रतिज्ञा ,काम नही अधिकार का...

6. बिरला कोई संसार में जो मन की न मानें
,डुबे वही मझधार में जो दे तन को तानें

7. मार गोली हरिहर कया रोता है...
बिना हरि के कया कुछ होता है..?

8. ढंग से देख हरिहर अपनी औकात को..
शक्ल,अक्ल भिखारी जैसी,....
मांग ता हरि नामी आकाश को....


9.हम करूणा की बुंद मात्र...तुम करूणा के सागर....
कृपा करो प्रभु.., बुंद बन जाए सागर तुममे आकर

10. हुत प्यार करते हैं तुम से,
पर बहुत डरते हैं तुम से,
कही प्यार को कुछ और न समझले ये जमाना...
तो कया गलत समझता है जमाना...?
कहाँ इंसान की फितरत,वो ..
रश्मि में टाट का पेबंद लगाता है...
हरिहर ये हरि की ही फितरत,
जाने कया कया कर जाता है.....?

Friday, 9 May 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-19



1. नज़र से नजर मिलें तो आँखे चार होती है.
मिलें नज़र हरि सेे आँखे चार नही इक तार होती है

2. हरि,पा लू तुमें तो ये सफ़र पुरा हो.....
थक गया हुँं बार बार आते जाते

3. अच्छी बाते, सादा भोज़न पचा सकता है कौन......
माया से छुडाने वालेे ही माया के पीछे भाग रहे हैै
रास्ता दिखा सकता हैै कौन....?

4. श्री राम है मेरे राम, 
मेरे राम है सीता केे राम,
मेरे राम है हनुमंत के राम,
मेरे राम है सब के राम....
सब के राम.. है . कया .तेेरे राम
तो बोल फिर.राम,,राम,राम,,राम,राम,,

5.कोई अमीर होता है,कोई गरीब होता है
कया ये नसीब होता है....
ग़र सब हरि का बनाया है...
कुयू ये अजी़ब खेल होता है
परेशा़ हुँ देख के दुनिया के रंग....
हे प्रभु आनंद दाता.. कुयू ये भेद होता है

6. संत हमें प्रिय,हम संतन के दास..
चमडी दिये संत मिले,
हरिहर मत करना समवाद...

7.अंदर तेरी माया बाहर तेरी माया... 
बीते वर्ष हजार ......
पर तेरा राज़ कोई समझ पाया....
तू ही सुलझाता तू ही उलझाता....
तू बनाता तू गिराता...
कहते मैं महायोगी...
महायोगी की भी तू हँसी उडाता
मुढ को महाज्ञान देता..
महाज्ञानी का मैं हटाता..
पर ये बता है कया चाहता....?
ऱाम भजै को उलटा कर दे..
रावण के कुयू महल बनाता..
तू ही सुलझाता तू ही उलझाता...
अंदर तेरी माया बाहर तेरी माया...
कया तू कोई समझ न पाया...
तुमे. कोई हरा न पाया..
और हँसते हार भी जाता..
पर आज बता है कया चाहता...

Wednesday, 7 May 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-18


1.ज्ञान की गंगा मै कौन नहाना चाहता है...?
कौन है हरिहर जो फकीर के पास आना चाहता है ...?
कौन दूसरो केे लियेे आँसू बहाना चाहता है...?
कौन दूसरो केे लियेे जख्म खाना चाहता है..?
पैसे की दुनिया है...हर कोई पैसे को पाना चाहता है
मित्र , झुठो का आज बोलबाल....
कहा आज बुुरी नज़र वालेा का मुुहँ काला है
मोह माया वाले ही आज मोह माया से छुडाते..

2. जिंदगी का पता नही,मुक्ति की बात करता है 
ढंग से जीवन जी कया धड़ी-धड़ी मरता है

3.बीत जाए रात सब मैंखाने में...
येे रहीस की जिंदगी होती है.
नंगा भुखा,तरसता है हो दो टुक को...
.गरीब की जिंदगी होती है.
मिलेे न मिले हर हाल में रहें जो खुश...
ये फकीर की जिंदगी होती है
रहकर खुद भुखा दुसरो की सोचे....
ये नसीब की जिंदगी होती है

4.नज़र से नजर मिलें तो आँखे चार होती है.
मिलें नज़र हरि सेे आँखे चार नही इक तार होती है

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-17


1.इक राम हैै जिसे नही आराम हैै 
करते सब केे काम है इसी लियेे वो राम है
सबको हमारी...राम राम है..................

2. हरि केे हज़ार रंंग हैै,हज़ारो रंगो सेे करोडो रंंग बनाते है
काला गोरा,अमीर गरीब,पर मन को कोरा ही बनाते है

3. झुठ का कोई रंग नही होता..
इसी लिये झुठो की जिंदगी बेेरंग होती हैै

4.दिल के है हम अमीर, पैसे का क्या करना...
कितना भी हो पैसा...,है फटे हाल ही मरना
 

5. हम इक प्यासी चिडि़या...
तरसे हरि नाम को ...,
जाने कब मिलेगा...
हरि हरिहर इस जाऩ़ को

6. राम हरि का नाम ,दे मुक्ति का धाम,
सब को हरिहर की राम-राम

7. ठंड रख,हर जवाब मिलेगा...
तेरे हर कर्मो हिसाब मिलेगा...
खोदे है जो तु ने गडड़े ,
मिटने वालो की हाय..
का परिणाम मिलेगा

8. हरि बिनु चैन नाही,मनवा रहे बैचन.. 
हल्दी गाँठ सी दी उमरिया कहा फिर मिलें चैन

9. हरि का भेद बताये कया ये औकात हमारी है........?
बस हरिहर इतना जानत,येे सब माया तुमहारी है

10. माँ ...गंगोत्री मंदिर के पट खुले...
हजारो नर नरक करने वहां चले

11. हम फकीर खाली झोली के...साध,स्वामी लगाते भी घबराते है
पर जाने कैसे वो रहकर संसार में .........../
महायोगी महातपस्वी,महाऋषि,ब्रहमऋषि हो जाते है
12.

Sunday, 4 May 2014

फिर से भगीरथ की तलाश है..




फिर से भगीरथ की तलाश है..1
मित्रो.....
देखो तो कही तुमहारे आस पास है...
हमे भगीरथ की तलाश है..2
या तो लाकर दे हमे नई गंगा...
या इसे ही सवार दे
ये है निश्चित कि हम है कायर..
जैसे कपिल मुनि के शाप से मरे....
सगर के साठ हजार पुत्र..
ऐसे ही सब कायरो को मार दे..
उसके बाद ही कोई भगीरथ अवतार ले
हमे भगीरथ की तलाश है..3
एक धृतराष्ट्र से परेशा़ थे पांडव...
अब तो हर घर में ही धृतराष्ट्र का अवतार है
मुक बधिर बन दे रहे..
ये हरिहर हर हिंदुस्तानी का हाल है
घायल है माँ गंगा...माँ बदहवास है
फिर से भगीरथ की तलाश है..4
अरे कहाँ ढूँढूोगे भगीरथ..
वो तो है तेरे अंदर....
बस तुमे नही अहसास है

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-16


1.किसी अंजाम की फिक्र ना कर...
नियत को साफ रख,जो करना वो कर

2. भीड़ मुझे रास नही आती...
खोने का डर है..
भुुल ना जायें कहाँ मेरा घर है

3. तेरा सफर कभी खत्म न होगा...
ग़र ध्यान का फूलसटोप न होगा

4. तू माने ना माने मै तेरे साथ हूँ..
मैं तेरा साया नही तेरा विश्वास हूँ

5.चोरो की बरात का तू साथी..(काम क्रोध लोभ मोह अहंकार) तो कल्याण कैसे हो..
(शांति, प्रेम, क्षमा, मैत्री, सहानुभूति, सज्जनता, उदारता ) 
की बरात बना कल्याण कया चीज है मुफ्त मैं हरि को पा

6.लम्बी-लम्बी बातें न कर.. दे हथौडा मार,,
कितना पकायेगा अरे हरि कृपा से तू है तैयार

7. जिसके मन का विश्वास टूटता है 
वही हरिहर हरि के दर से छुटता है..
ऐ प्रीति ..कर नाम सार्थक हरि से प्रीत करे
हरि प्रीति वाला ही जगत में जितताहै

8. जीवन का आंनद कया यु ही जीनें में है....
पडे़ रहो ग़रत में..कया रो रोकर जीने में है..
थोडा जीयो पर अच्छा जीयो,कया लम्बा जीने में है
खोज़ करो पुरुषार्थ करो आंनद हरि रस पीने में है

9. नीचे आ हवा में कया रखा है..
जो भी रखा है यही रखा है

10. देगा वो सब को उसके देने में कमी नही..
कमी तुझमे है कि तु ने छुयी जमी़ नही है

11. बंद करता था जब आँखे.. तो तुम नज़र आते थे......प्रभु
अब आँखो को खोलता हुँ तो डर जाता हु देख दुनिया के रंग