Friday, 9 May 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-19



1. नज़र से नजर मिलें तो आँखे चार होती है.
मिलें नज़र हरि सेे आँखे चार नही इक तार होती है

2. हरि,पा लू तुमें तो ये सफ़र पुरा हो.....
थक गया हुँं बार बार आते जाते

3. अच्छी बाते, सादा भोज़न पचा सकता है कौन......
माया से छुडाने वालेे ही माया के पीछे भाग रहे हैै
रास्ता दिखा सकता हैै कौन....?

4. श्री राम है मेरे राम, 
मेरे राम है सीता केे राम,
मेरे राम है हनुमंत के राम,
मेरे राम है सब के राम....
सब के राम.. है . कया .तेेरे राम
तो बोल फिर.राम,,राम,राम,,राम,राम,,

5.कोई अमीर होता है,कोई गरीब होता है
कया ये नसीब होता है....
ग़र सब हरि का बनाया है...
कुयू ये अजी़ब खेल होता है
परेशा़ हुँ देख के दुनिया के रंग....
हे प्रभु आनंद दाता.. कुयू ये भेद होता है

6. संत हमें प्रिय,हम संतन के दास..
चमडी दिये संत मिले,
हरिहर मत करना समवाद...

7.अंदर तेरी माया बाहर तेरी माया... 
बीते वर्ष हजार ......
पर तेरा राज़ कोई समझ पाया....
तू ही सुलझाता तू ही उलझाता....
तू बनाता तू गिराता...
कहते मैं महायोगी...
महायोगी की भी तू हँसी उडाता
मुढ को महाज्ञान देता..
महाज्ञानी का मैं हटाता..
पर ये बता है कया चाहता....?
ऱाम भजै को उलटा कर दे..
रावण के कुयू महल बनाता..
तू ही सुलझाता तू ही उलझाता...
अंदर तेरी माया बाहर तेरी माया...
कया तू कोई समझ न पाया...
तुमे. कोई हरा न पाया..
और हँसते हार भी जाता..
पर आज बता है कया चाहता...

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