Wednesday, 7 May 2014

गीता सार - सरल जीव उपयोगी उपदेश:-18


1.ज्ञान की गंगा मै कौन नहाना चाहता है...?
कौन है हरिहर जो फकीर के पास आना चाहता है ...?
कौन दूसरो केे लियेे आँसू बहाना चाहता है...?
कौन दूसरो केे लियेे जख्म खाना चाहता है..?
पैसे की दुनिया है...हर कोई पैसे को पाना चाहता है
मित्र , झुठो का आज बोलबाल....
कहा आज बुुरी नज़र वालेा का मुुहँ काला है
मोह माया वाले ही आज मोह माया से छुडाते..

2. जिंदगी का पता नही,मुक्ति की बात करता है 
ढंग से जीवन जी कया धड़ी-धड़ी मरता है

3.बीत जाए रात सब मैंखाने में...
येे रहीस की जिंदगी होती है.
नंगा भुखा,तरसता है हो दो टुक को...
.गरीब की जिंदगी होती है.
मिलेे न मिले हर हाल में रहें जो खुश...
ये फकीर की जिंदगी होती है
रहकर खुद भुखा दुसरो की सोचे....
ये नसीब की जिंदगी होती है

4.नज़र से नजर मिलें तो आँखे चार होती है.
मिलें नज़र हरि सेे आँखे चार नही इक तार होती है

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